बोल रहा दीया, कहो न आस निरास भई
2024-10-28
त्योहारों का मौसम चलते-चलते दीपावली के पर्व तक आ पहुंचा। आशाओं व आकांक्षाओं के पूरा होने का पर्व। सुख, शांति, समृद्धि, कीर्ति व ऐश्वर्य का पर्व। असत्य पर सत्य की जीत का पर्व। भारतवर्ष में सदियों से चली आ रही परम्परा का पर्व। इसमें सबसे पहले पाली भाषा में कहा गया, “सब्बे सत्ता सुखी होन्तु, सब्बे होन्तु च खेमिनो। सब्बे भद्राणि पस्सन्तु, मा किंचि पाप माग मा, मा किंचि सोक माग मा, मा किंचि दुख माग मा॥”औरऔर भी