किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उसकी परख और कामकाज का विश्लेषण ज़रूरी है। दिक्कत यह है कि यह ज़रूरी काम कायदे से कैसे किया जाए? कंपनी के अतीत का विश्लेषण हम कर सकते हैं। उसके अब तक के वित्तीय प्रदर्शन की तहकीकात कर सकते हैं। उद्योग व बाज़ार की तुलना में उसके शेयर का मूल्यांकन कर सकते हैं। ये पहलू मात्रात्मक विश्लेषण से साफ हो जाते हैं। इनमें कंपनी पर चढ़े ऋण से जुड़ाऔरऔर भी