कोरोना के प्रकोप और लॉकडाउन ने हमार शेयर बाज़ार का स्वरूप ही बदल दिया है। पहले जहां रिटेल ट्रेडरों का रोल हाशिये पर था, वहीं अब वे काफी निर्णायक हो गए हैं। खासकर, डेरिवेटिव सेगमेंट में तो वे एफआईआई, डीआईआई व ब्रोकरों की प्रॉपराइटरी फर्मों से भी बड़े खिलाड़ी बन गए हैं। मसलन, शुक्रवार की ट्रेडिंग पर नज़र डालें तो एनएसई के डेरिवेटिव सेगमेंट में कुल 73.13 लाख लॉन्ग सौदे हुए, जिसमें से 43.65 लाख सौदे (59.69%)औरऔर भी

हमारे-आप जैसे सामान्य निवेशक के पोर्टफोलियो में कुल कितने स्टॉक्स होने चाहिए? कम से कम बीस और ज्यादा से ज्यादा तीस। इससे ज्यादा हो जाएं तो बेचकर टोकरी छोटी कर लें। आमतौर पर लालच में आकर कभी ज्यादा महंगे शेयर नहीं खरीदने चाहिए। बड़ी व जमी-जमाई कंपनियों के लिए 20-22 और मध्यम व छोटी कंपनियों के लिए 12-13 तक पी/ई का ठीक रहता है। अगर कोई स्टॉक दो-तीन साल में 50-100% का रिटर्न दे रहा हो तोऔरऔर भी

निफ्टी में ऊपर के पांच-सात स्टॉक्स संभाल लिए जाएं और चुनिंदा खरीद से उन्हें चढ़ाते रहा जाए तो शेयर बाज़ार बराबर बढ़ता ही रहेगा। यही खेल अकेले वित्तीय सेवाओं के बल पर भी कर सकते हैं क्योंकि उनका सम्मिलित वजन निफ्टी में 38.06% है। वहीं, रिलायंस (10.36%), एचडीएफसी बैंक (9.79%), इनफोसिस (7.66%), एचडीएफसी (6.82%) और आईसीआईसीआई बैंक (6.80%) का सम्मिलित वजन 41.43% हो जाता है। इन पांच के ऊपर दो स्टॉक्स (टीसीएस, कोटक महिंद्रा बैंक) और जोड़औरऔर भी

एनएसई अपनी वेबसाइट पर हर महीने के आखिर में निफ्टी-50 सूचकांक के 50 स्टॉक्स का नया भार जारी करता है। वहां अभी मई 2021 की पीडीएफ फाइल मौजूद है। जून महीने के अंत में जब नया डेटा जारी होगा तो उसकी भी पीडीएफ फाइल डाउनलोड करके दोनों की तुलना कर सकते हैं। स्टॉक्स के वेटेज कैसे बदलते हैं, इसे उदाहरण से समझते हैं। मई में रिलायंस का शेयर 8.31% बढ़ा तो निफ्टी-50 में इसका भार 10.19% सेऔरऔर भी