पिछले कुछ हफ्तों से जब से शेयर बाज़ार में भारी गिरावट व अनिश्चितता का सिलसिला शुरू हुआ है, तभी से हम बराबर कह रहे हैं कि रिटेल ट्रेडरों को बाज़ार से दूर रहना चाहिए। अन्यथा, वे संस्थाओं की चक्की में पिसकर रह जाएंगे और पलक झपकते ही अपनी ट्रेडिंग पूंजी गवां बैठेंगे। फिर, जब ट्रेडिंग पूंजी ही नहीं रहेगी तो ट्रेड कहां से करेंगे। अपनी पूंजी सुरक्षित रखना ट्रेडिंग का मूलभूत नियम है। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

चालू वित्त वर्ष 2019-20 में शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग के लिए आज को मिलाकर अब मात्र छह दिन बचे हैं। शेयर बाज़ार के सबसे बड़े खिलाड़ियों में गिने जाते हैं म्यूचुअल फंड, एलआईसी जैसी बीमा कंपनियां और विदेशी निवेशक संस्थाएं। अमूमन ये सभी संस्थागत निवेशक मार्च अंत में अपनी खरीद बढ़ा देते हैं। इस बार देशी संस्थाएं ज़रूर खरीद रही हैं। लेकिन विदेशी संस्थाओं की बिक्री उनका पूरा कचूमर निकाल दे रही है। अब मंगल की दृष्टि…औरऔर भी

देखते-देखते वित्त वर्ष 2019-20 बीत गया। ट्रेडिंग के लिए इस हफ्ते पांच दिन और अगले हफ्ते दो दिन बाकी हैं। फिर बुधवार, पहली अप्रैल से नया वित्त वर्ष 2020-21 शुरू। तब क्या होगा, पता नहीं। अभी तो पिछले कई हफ्तों से शेयर बाज़ार में कोरोना को कोहराम छाया हुआ है। बाज़ार इस साल जनवरी से अब तक लगभग 30% गिर चुका है। चालू वित्त वर्ष के बाकी सात दिनों का क्या होगा हाल? अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी

कोरोना के कहर के चलते बीएसई सेंसेक्स इस साल 20 जनवरी के शिखर से 20 मार्च तक 29.23% गिर चुका है, वह भी तब जब 20 मार्च को 5.75% उछला है। शिखर पर वह 29 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। अभी लगभग 18 के पी/ई पर। निवेश की आदर्श स्थिति इसके 15 के पी/ई तक गिरने पर आएगी। फिर भी इस वक्त निवेश के बहुतेरे मौके हैं। आज तथास्तु में इनमें से एक मौका…औरऔर भी