क्या शेयर बाज़ार की मौजूदा बढ़त में बहुत सारे लोग कमा रहे हैं? जवाब है कतई नहीं। सच कहा जाए तो इस बढ़त में कमानेवालों की संख्या मुठ्ठीभर होगी। बाज़ार जब गिरने लगेगा, तब तो गिरावट से कमानेवालों की संख्या और भी कम होगी। कारण, गिरावट में शॉर्ट सेलिंग से बड़े ही कमाते हैं। आम ट्रेडर सोचते हैं कि ऑप्शंस खरीदकर वे कमा लेंगे। लेकिन गिरावट में ऑप्शंस बेचनेवाले कमाते हैं, खरीदनेवाले नहीं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

बाज़ार बराबर बढ़ता और नई ऊंचाइयां छूता जा रहा है। हर कोई चहक रहा है। लेकिन अभी जितना बढ़ा है, उसका आधा भी गिर जाए तो बढ़ने की सारी खुशी काफूर हो जाएगी। वित्तीय बाज़ार में लोगों का सामान्य मनोविज्ञान है कि घाटा खाने की तकलीफ मुनाफे की खुशी से दोगुनी होती है। किसी शेयर में 2% स्टॉप-लॉस लगने का दुख दूसरे शेयर में 4% बढ़ने के सुख को पटरा कर देता है। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

इस समय शेयर बाज़ार में दो तरह के ट्रेडर/निवेशक सक्रिय हैं। एक वे जिन्होंने एकदम आक्रामक अंदाज़ अपना रखा है। लगता है कि इन्हें कुछ गंवाने का डर-भय है ही नहीं। दूसरे वे हैं जो बहुत सावधानी से फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। आक्रामक अंदाज़वाले हर दिन बाज़ार में धन डालते जा रहे हैं, वहीं सावधानी बरतनेवाले मौका मिलने ही थोड़ा-थोड़ा बेचकर निकलते जा रहे हैं। आखिर सही व संतुलित रास्ता क्या है? अब मंगलवार की दृष्टि…औरऔर भी

बाज़ार ऐसी ऊंचाई पर है जहां बहुतों को डर लगता है कि कभी भी धराशाई हो सकता है। लेकिन कुछ ऑपरेटरों और संस्थाओं की खरीद बराबर जारी है और हर दिन सेंसेक्स व निफ्टी नया शिखर बना रहे हैं। लगता है कि अब सेंसेक्स को 40,000 तक पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। बस, 14-15% ही तो बढ़ना है। मुमकिन है कि बजट तक या उससे बाद यह कमाल-धमाल हो जाए। अब परखते हैं सोमवार का व्योम…औरऔर भी

शेयर बाज़ार का अपना स्वभाव होता है और उस पर मानने या मनाने का कोई असर नहीं पड़ता। मगर, जिस तरह इस वक्त तमाम अच्छी कंपनियों के शेयर चढ़े हुए हैं, उसमें इच्छा होती है कि काश! वे जमकर गिर जाते तो हमें निवेश का सुरक्षित मौका मिल जाता। फिलहाल, इच्छाओं को परे रखकर हमें समय की शरण में चले जाना चाहिए और अच्छे शेयरों के गिरने का इंतज़ार करना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी