आम ट्रेडर के पास क्या होता है! अतीत के आंकड़े और टेक्निकल एनालिसिस का ज्ञान। पुराने भावों और पैटर्न के दम पर वो भावी चाल का अंदाज़ा लगाता है। इतिहास खुद को दोहराता है तो यह अंदाज़ा सही पड़ जाता है और वो कमा लेता है। अन्यथा, रिस्क प्रबंधन के सूत्र अपनाकर घाटे को न्यूनतम रखते हुए पूंजी को बचाकर चलता है। लेकिन खबरों के दौरान भविष्य का अंदाज़ लगाना संभव नहीं होता। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

हम हमेशा ट्रेड करना चाहते हैं क्योंकि कोई मौका चूकना नहीं चाहते। लेकिन नहीं समझ पाते कि कुछ मौकों को छोड़ देना लंबी पारी खेलने के लिए बेहद ज़रूरी होता है। हर कोई बाउंसर नहीं खेल पाता। हमें अपनी सीमा और कमज़ोरी का भान हमेशा होना चाहिए। संस्थाएं और बड़े ऑपरेटर दो बजे के आसपास करोड़ों का मार्केट ऑर्डर देकर अगले दिन का रुख तय कर देते हैं। हम नहीं कर सकते। अब चलाएं, बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

अगर हम तभी ट्रेड करते हैं जब हालात अपने माफिक हों तो अपनी सफलता की अधिकतम प्रायिकता को सुनिश्चित करते हैं। जब हमें पता हो कि हमारी रणनीति काम नहीं करने जा रही है, तब ट्रेडिंग से दूर रहकर हम अनावश्यक रिस्क से खुद को बचाते हैं। शेर से लड़ गए और शेर खा गया, जैसी बहादुरी का कोई फायदा नहीं होता। न्यूनतम रिस्क में अधिकतम फायदा। यही है सही सोच। अब पकड़ते हैं मंगल की दृष्टि…औरऔर भी

शेखचिल्ली लोग न तो समाज में सफल होते हैं, न राजनीति या कूटनीति में सफल होते हैं और न ही वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में। गांठ बांध लें कि अगर जीतना है, कमाई करनी है तो शेयर बाज़ार में तभी ट्रेडिंग करें, जब हालात अपने पक्ष में हों। जाहिर है, आगे क्या होगा, यह हमारे वश में नहीं। लेकिन जब हर तरफ भयंकर अनिश्चितता छाई हो, तब कतई ट्रेड न करें। अब समझते हैं सोम का व्योम…औरऔर भी

इस साल 29 फरवरी को निफ्टी 6826 पर था। बढ़कर 7 जून को 8295 तक जा पहुंचा। 1469 अंक ऊपर। बीते हफ्ते दो बड़ी घटनाओं में यह इसका आधा, 735 अंक गिरकर 7560 पर आ गया होता तो अच्छी बात होती। लेकिन राजन के मामले पर वो गिरा ही नहीं; ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने पर 181.85 अंक ही गिरा। और गिरता तो अच्छे शेयर सस्ते हो गए होते! अब तथास्तु में आज की संभावनामय कंपनी…औरऔर भी