वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में अतीत को समझकर भविष्य को नाथा जाता है। इसके लिए कोई सर्व-स्वीकृत नियम नहीं हैं। चार्ट पर भावों का ट्रेन्ड समझना ज़रूरी है। ओवरबॉट या ओवरसोल्ड, सपोर्ट, रेजिस्टेंस व संस्थाओं की पोजिशन को समझने के लिए बहुत से इंडीकेटरों में से काम के संकेतक चुनने होते हैं। कुछ कहते हैं कि नतीजों के समय ट्रेड नहीं करना चाहिए तो कुछ लोग नतीजों के आसपास ही ट्रेड करते हैं। अब शुक्र का अभ्यास…औरऔर भी

ट्रेडिंग में स्व-नियंत्रण के बाद ही बाहर के समीकरण को समझने और मुठ्ठी में करने का काम शुरू होता है। लेकिन इसमें सबसे अहम चीज़ अपने मूल अस्त्र या पूंजी को बचाकर रखना होता है। ट्रेडिंग पूंजी बढ़े नहीं तो उसको ज्यादा आंच भी न आए, यह हमेशा पक्का करना पड़ता है। इसीलिए एक सौदे में 2% और महीने में 6% से ज्यादा नुकसान नुकसान न उठाने का अकाट्य नियम बनाया गया है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

ट्रेडिंग शुरू करते हैं तो हमें इससे मुनाफा कमाना होता है। लेकिन समय बीतने के साथ हम ट्रेडिंग के लिए ट्रेडिंग करने लगते हैं। नशे की तरह इसके एडिक्ट हो जाते हैं। हर दिन ट्रेडिंग करते हैं जैसे कोई दिहाड़ी मजदूर हों। याद रखें, सफल ट्रेडर के लिए हर दिन ट्रेडिंग करना ज़रूरी नहीं। जब मौका अच्छा दिखे, माहौल अपने माकूल हो, तभी ट्रेडिंग करनी चाहिए। नहीं तो अभ्यास करना ही काफी है। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी