बाज़ार को लेकर हम अमूमन केवल दो ही दिशाओं के बारे में सोचते हैं। ऊपर जाएगा कि नीचे? नहीं सोचते कि अगर पिछले दो सालों की तरह समय बीतने के साथ कहीं न गया तो? अभी जो सूरतेहाल है, उसमें जब तक लिस्टेड कंपनियों का मुनाफा ठहरा है, तब तक सूचकांक, कंपनियों के शेयर भाव अटके रहेंगे क्योंकि जोश में जमकर चढ़ा पी/ई अनुपात फिलहाल एकदम ज़मीन पर आ चुका है। अब पकड़ते है मंगलवार की दृष्टि…औरऔर भी

करीब दो साल पहले मोदी सरकार बनने से तीन दिन पहले सेंसेक्स 23,871.23 पर बंद हुआ था। अभी बीते शुक्रवार को 23,709.15 पर बंद हुआ है। ऊपर उठा बाज़ार अब सम हो चुका है। अभी कितना नीचे जाएगा, कहा नहीं जा सकता। बहुत मुमकिन है कि यूं ही सीमित दायरे में ऊपर-नीचे होता रहे। असल में बाज़ार की सटीक चाल क्या होगी, इसे जानना असंभव है। ऐसे में क्या हो ट्रेडिंग की रणनीति? अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी

बाज़ार अगर जाति-धर्म या पद-पदवी का भेद करे तो चल ही नहीं सकता। इसी के पूरक के बतौर लोकतांत्रिक व्यवस्था निकली है। बाज़ार का ही कमाल है कि आज कोई भी शख्स तमाम बड़ी कंपनियों के मालिकाने का हिस्सा खरीद सकता है। लेकिन यही प्रोत्साहन खेती में गायब है। अगर आप किसान नहीं हैं तो महाराष्ट्र या गुजरात जैसे देश के कई राज्यों में खेती के लिए ज़मीन नहीं खरीद सकते। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

खरीद हमेशा वहां से शुरू करनी चाहिए जहां से संस्थाएं व प्रोफेशनल ट्रेडर एंट्री ले सकते हैं। पर, चूंकि इसकी कोई गारंटी नहीं होती, इसलिए पहले 25% खरीद ही करनी चाहिए। उसके बाद भाव अपनी दिशा में गए तो 35% और फिर बाकी 40% खरीद। इस क्रम में हमेशा स्टॉप लॉस एंट्री मूल्य से 1.5-2% कम रखना चाहिए। वहीं, बेचते समय पहले 40%, फिर 35% और आखिर में 25% निकालते हैं। अब करते हैं शुक्र का अभ्यास…औरऔर भी