बड़ी गिरावट का आभास तो बाज़ार खुलने के घंटे भर पहले हो गया था। ऐसा देख हमने कहा भी था कि ‘आज ट्रेडिंग कतई न करें’। लेकिन सेंसेक्स 5.94% और निफ्टी 5.92% गिर जाएगा, इसका अंदाज़ किसी को नहीं था। यह 7 जनवरी 2009 के बाद किसी दिन की सबसे तगड़ी गिरावट है। डॉलर भी अब 66.74 रुपए का हो गया है। यकीनन, यह बाहरी घटनाक्रम का असर है। लेकिन सावधानी ज़रूरी है। अब मंगलवार की दृष्टि…औरऔर भी

साल 2013 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार यूजीन फामा, लार्स पीटर हैन्सेन व रॉबर्ट शिलर को इस निष्कर्ष पर मिला था कि स्टॉक या बांड के भाव अगले कुछ दिनों या हफ्तों में कहां जाएंगे, इसका पूर्वानुमान लगाने का कोई तरीका नहीं है। हां, अगले तीन-पांच साल में कहां जाएंगे, इसका अनुमान काफी हद तक संभव है। फिर भी ट्रेडिंग में लोग क्यों हाथ आजमाते हैं वो अरबों नहीं, खरबों में? सोचिए। अब देखें सोमवार की मार…औरऔर भी

कोयल कभी घोंसला नहीं बनाती। वो बड़ी चालाकी से अपने अंडे कौए के घोंसले में डाल देती है। शेयर बाज़ार में निवेश करना ऐसा ही है। बस ‘कौए’ की सही पहचान होनी चाहिए। ऐसा न हो कि वो आपका ‘अंडा’ ही खा जाए। बुरी कंपनियां निवेशकों की दौलत खा जाती हैं, जबकि अच्छी कंपनियां शेयरधारकों की दौलत बराबर बढ़ाती जाती हैं। आज तथास्तु में ऐसी कंपनी जिसने 37 सालों में दिया है 21% का सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न…औरऔर भी

भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के शेयर बाज़ार को लंबे समय में बढ़ते ही जाना है। लेकिन बीच-बीच में ऐसा दौर भी आता है जब बाज़ार गिरावट की गिरफ्त में चला जाता है। तब कुशल ट्रेडर शॉर्ट-सेलिंग से जमकर कमाते हैं। मुश्किल यह है कि अपने यहां शॉर्ट सौदे इंट्रा-डे काटने होते हैं या इन्हें फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट में ही करना संभव है। इसलिए हम एफ एंड ओ से हमेशा भाग नहीं सकते। आगे शुक्रवार की गिरावट…औरऔर भी