सप्ताह के आखिरी दिन, ट्रेडिंग का सबसे पहला बुनियादी नियम। ट्रेडिंग जितनी और जैसी करें, लेकिन अपनी ट्रेडिंग पूंजी को कतई आंच न आने दें। वो सलामत रहेगी तभी आपकी ट्रेडिंग चल पाएगी। और, उसे सलामत रखना एकदम आपके हाथ में है। किसी एक सौदे में 2% और पूरे महीने में 6% से ज्यादा नुकसान कभी न होने दें। इस सीमा तक पहुंचते ही उस महीने की ट्रेडिंग फौरन रोक दें। अब करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

ट्रेडिंग के सदमे से बचने का एक आजमाया हुआ तरीका यह है कि जैसे ही आप बाज़ार से मुनाफा कमाना शुरू कर दें, धीरे-धीरे अपना शुरुआती निवेश निकालकर किनारे रख दें। आगे की ट्रेडिंग बचे हुए मुनाफे से ही करें। इससे एक तो यह होगा कि आपकी बचत सुरक्षित रहेगी। दूसरा फायदा यह होगा कि घाटा लगने पर भी आप को मानसिक झटका नहीं लगेगा और आप बिना घबराए संतुलित फैसला ले पाएंगे। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

ट्रेडिंग के खतरे या रिस्क को न्यूनतम करने का दूसरा तरीका यह है कि कभी अपना पूरा ट्रेडिंग पोर्टफोलियो एक ट्रेड में न लगाएं। आम मानसिकता फटाफट मुनाफा बटोरने की होती है। लेकिन ध्यान रखें हड़बड़ी शैतान का काम है। अपना निवेश बराबर-बराबर महीने में 20 दिन के ट्रेड में बांट दें। इसे पोजिशन साइज़िंग भी कहते हैं। इससे आप ट्रेडिंग के रिस्क को कम और रिटर्न को अधिकतम कर सकते हैं। अब आजमाएं बुध की बुद्धि…औरऔर भी

नौसिखिया निवेशक के लिए कमोडिटी या शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग बड़ी खतरनाक है। लेकिन इस खतरे से बचने के कुछ समयसिद्ध नियम हैं। एक नियम तो यह है कि आनेवाले कुछ सालों के अपने नियमित खर्चों को पूरा करने और सुरक्षित निवेश के लिए जो धन एकदम नहीं चाहिए होगा, उसे ही ट्रेडिंग में लगाना चाहिए। आदर्श स्थिति यह है कि आपका जितना निवेश है, उसका 5% ही ट्रेडिंग में लगाए। अब परखते हैं मंगल की दृष्टि…औरऔर भी

चार्ट दरअसल बाज़ार में सक्रिय खरीदारों व विक्रेताओं और उनके बीच बनते-बिगड़ते नए-पुराने संतुलन का आईना है। लेकिन अक्सर हम वहां वो नहीं देखते जो चार्ट दिखाता है, बल्कि वो देखते हैं जो हम देखना चाहते हैं। इसलिए चार्ट बाज़ार का नहीं, हमारे मन का आईना बन जाता है। जाहिर है कि बाज़ार हमारे नहीं, लाखों लोगों के मन व गणनाओं से चलता है तो हमारे हारने की प्रायिकता 99% हो जाती है। अब सोम का व्योम…औरऔर भी