अल्गोरिदम ट्रेडिंग को लेकर बड़ा डर और हौवा है। लेकिन असल में यह चंद नियमों पर अमल का माध्यम भर है। यह अमल कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर करे या हमारा दिमाग, बात एक है। इसमें बस करते यह हैं कि कुछ नियमों – जैसे, मूविंग एवरेज, ट्रेडिंग वोल्यूम का पैटर्न, खरीदने-बेचने के भाव का अंतर व आरएसआई वगैरह पर अमल करते हैं ताकि फैसले में भावनाओं नहीं, बुद्धि का दखल न हो। अब परखते हैं सोमवार का व्योम…औरऔर भी

उद्योग में संभावना हो, कंपनी मजबूत हो, प्रबंधन अच्छा हो तो उसके शेयर हम कई बार थोड़ा-थोड़ा खरीद सकते हैं। पिछले एक-दो महीने में इसी कॉलम में बताई गई कुछ कंपनियों के शेयर गिरे हैं तो घबराने के बजाय उन्हें थोड़ा और खरीद लेना चाहिए। वहीं, जो कंपनी अपने अंतर्निहित मूल्य से ज्यादा भाव पर ट्रेड हो रही हो, उसके थोड़े शेयर अभी खरीदने चाहिए और बाकी बाद में। आज तथास्तु में ऐसी ही एक चढ़ी कंपनी…औरऔर भी

हर कोई भविष्य जानने को बेचैन। खासकर शेयर बाज़ार में। वही उस्ताद जो एलानिया बोले कि बाज़ार कहां से कहां जाएगा। लोगबाग जेब जलाकर सीखते हैं कि वो धंधेबाज़ तो पूरा फेंकू था। याद रखें, सटीक भविष्यवाणी नामुमकिन है। वॉरेन बफेट तक की गणनाएं धोखा खा जाती हैं। इसलिए हम-आप या कोई भी हमेशा सही नहीं हो सकता। जो इसे समझता है वो ऊंच-नीच के हिसाब से चलता है। बाकी डूब जाते हैं। अब शुक्र का अभ्यास…औरऔर भी

कोई भी साधन अपने आप में साध्य नहीं होता। इसी तरह टेक्निकल एनालिसिस खुद में कोई अमोघ अस्त्र नहीं है। उसका काम बाज़ार में चल रहे भावों के पीछे की भावना को समझना है। वह बाज़ार के पीछे चलती है, आगे नहीं। ऐसे में जब एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल मार्केट एनालिस्ट के अध्यक्ष सुशील केडिया कहते हैं कि निफ्टी 7700 और रुपया प्रति डॉलर 57 तक जाएगा तो उनका बड़बोड़ापन ही इसमें झलकता है। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी