क्या ऐसा हो सकता है कि बराबर कंपनियां छांटकर निवेश करने के बजाय हम एक बार ही 20-30 कंपनियों में निवेश कर दें और भूल जाएं। दस-बीस साल तक बराबर लाभांश पाते रहें और जब ज़रूरत पड़े तो 15-16% की सालाना चक्रवृद्धि दर के रिटर्न के साथ अपना धन निकालकर इस्तेमाल कर लें। लाभांश का चक्कर छोड़ दें तो हम निफ्टी-50 के ईटीएफ में एसआईपी से यह काम कर सकते हैं। साथ ही कुछ कंपनियों का दमखम और बिजनेस मॉडल ऐसा होता है कि वे हीरों की तरह सदा के लिए होती हैं। बिना किसी रिसर्च के इस सिलसिले में यूं ही कुछ नाम फेंक रहा हूं जिन पर आप गौर कर सकते हैं। टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, एशियन पेंट्स, लार्सन एंड टुब्रो, पिडिलाइट, सोलार इंडस्ट्रीज़, आईआरसीटीसी, कोटक महिंद्रा बैंक, इन्फोसिस और बालकृष्ण इंडस्ट्रीज़। सवाल उठता है कि ऐसी कंपनियों को कैसे छांटा जाए और क्या उनके शेयर पहले से ही काफी चढ़े नहीं रहते? भारत जैसे उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश में ऐसी कंपनियों की शिनाख्त संभव है और उनके शेयर चढ़े हुए हों तो एसआईपी के अंदाज़ में उन्हें थोड़ा-थोड़ा खरीदा जा सकता है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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