गोवा में कांग्रेस-नीत गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री दिगम्बर कामथ भले ही दावा कर रहे हों कि राज्य में कोई अवैध खनन नहीं हो रहा, लेकिन केंद्रीय खान मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि राज्य में चल रही करीब 50 फीसदी खदानों में अवैध तरीके से काम हो रहा है।
खान मंत्रालय के संयुक्त सचिव जी श्रीनिवास ने चार दिन पहले 25 अक्टूबर को राज्य के खान सचिव एस कुमारस्वामी को भेजे गए पत्र में कहा है कि वे राज्य में अवैध खनन को रोकने के उपायों को बढ़ा दें। बता दें कि विपक्ष का आरोप है कि गोवा में बड़े पैमाने पर अवैध खनन घोटाला हुआ है जो करीब 25,000 करोड़ रुपए का हो सकता है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक श्रीनिवास ने इस पत्र में लिखा है, “खानों के स्तर पर देखें तो 44 खदानों ने 20 फीसदी उत्पादन लक्ष्य की सीमा लांघ दी थी।” गौरतलब है कि गोवा में करीब 100 सक्रिय ओपन कास्ट आइरन खदानें हैं।
केंद्रीय संयुक्त खान सचिव का यह पत्र गोवा में अवैध व सीमा से ज्यादा खनन की पुष्टि करता है। दूसरी तरफ 12 सालों से राज्य में खनन मंत्रालय का कामकाज देख रहे मुख्यमंत्री दिगम्बर कामथ अवैध खनन से लगातार इनकार करते रहे हैं। उनका कहना है कि अवैध खनन अगर है भी, तो बेहद मामूली स्तर पर। लेकिन विपक्ष लगातार सरकार पर अवैध खनन में लिप्त होने का आरोप लगाता रहा है।
केंद्रीय मंत्रालय ने गोवा के खान व भूगर्भ विभाग (डीएमजी) से मौके पर जाकर यह भी पता लगाने को कहा है कि राज्य में कार्यरत करीब 100 खदानें क्या वन संरक्षण कानूनों का पालन कर रही हैं या नहीं। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ज्यादातर खदानों में नियमों को खुल्लमखुल्ला उल्लंघन हो रहा है।
श्रीनिवास ने अपने पत्र में लिखा है, “मंत्रालय की राय में खनन का काम वन संरक्षण अधिनियम 1980 समेत तमाम जरूरी मंजूरियों के मिलने के बाद ही होना चाहिए। इसका पालन सुनिश्चित करने के लिए आप डीएमजी की फील्ड यूनिटों को मौके का मुआइना करने का आदेश दे सकते हैं।” उन्होंने राज्य सरकार से खारिज किए गए लो ग्रेड लौह अयस्क के भंडारों की निगरानी करने को कहा है। हाल मे इन्हें अवैध रूप से निकालकर चीन को निर्यात कर दिया गया था। गोवा ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में कुल 5.4 करोड़ टन लौह अयस्क का निर्यात किया था।