कंसोलिडेटेड कंस्ट्रक्शन कंसोर्टियम लिमिटेड (सीसीसीएल) का शेयर पिछले एक महीने में 72 रुपए से 15 फीसदी से भी ज्यादा गिरकर 61 रुपए पर आ चुका है। इस दरम्यान वह 26 नवंबर को 60 रुपए तक चला गया है जो 52 हफ्तों का उसका न्यूनतम स्तर है। इस शेयर की बुक वैल्यू 33.52 रुपए है, जबकि उसका ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 4.88 रुपए है। इस तरह कल बीएसई (कोड – 532902) में 60.90 रुपए और एनएसई (कोड – CCCL) में 60.95 रुपए के बंद भाव पर उसका पी/बी (मूल्य व बुक वैल्यू का अनुपात) 1.82 और पी/ई अनुपात 12.48 निकलता है। इन वित्तीय अनुपातों के आधार पर इस समय उसमें निवेश करना वाजिब लगता है।
बता दें कि कंपनी का आईपीओ सितंबर 2007 में आया था, जिसमें उसने अपने 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर 510 रुपए पर जारी किए थे। इसके बाद उसने 11 फरवरी 2010 के बाद से 10 रुपए के शेयर को 2 रुपए अंकित मूल्य के पांच शेयरों में विभक्त कर दिया है। अगर मौजूदा बाजार भाव को पांच से गुणा कर दें तो भी भाव 304 रुपए बनता है जो 510 रुपए के इश्यू मूल्य से 40.39 फीसदी कम है। इस बीच कंपनी ने कोई बोनस भी नहीं दिया है। जाहिर है इसके आईपीओ में निवेश करनेवाले लोग इस समय काफी दुखी होंगे क्योंकि सवा तीन साल में उनकी पूंजी बढ़ने के बजाय 40 फीसदी से ज्यादा घट गई है, जबकि इस दौरान एफडी में डालने पर भी 25 फीसदी से ज्यादा रिटर्न मिल गया होता।
हालांकि इन तीन सालों में कंपनी ने हर साल 25 फीसदी का लाभांश दिया है। लेकिन लाभांश तो इश्यू मूल्य पर नहीं, अंकित मूल्य पर गिना जाता है। इसलिए 510 रुपए पर 2.50 रुपए के लाभांश का कोई विशेष मतलब नहीं होता। असल में शेयर बाजार में निवेश में धन बढ़ने ही नहीं, घटने का जोखिम होता है। इस जोखिम को समझकर ही यहां निवेश करना चाहिए। खैर, एचडीएफसी सिक्यूरिटीज ने हाल ही में जारी अपनी रिसर्च रिपोर्ट में सीसीसीएल में निवेश की सलाह दी है।
यह ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट व कंस्ट्रक्शन) के धंधे में सक्रिय है। कंपनी की आय का बड़ा हिस्सा व्यावसायिक, संस्थागत व आवासीय बिल्डिंग सेगमेंट से आता रहा है। इसमें भी व्यावसायिक बिल्डिंगों का हिस्सा 2008 तक औसतन 70 फीसदी रहा था। लेकिन उसके बाद के दो सालों में कंपनी ने अपना जोर इंफ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ा दिया है और उसके ऑर्डर का आधे से ज्यादा हिस्सा अब इंफ्रास्ट्रक्चर से ही आ रहा है। वह ज्यादातर शिक्षण संस्थानों, होटल व अस्पतालों को बनाने का काम करती है जहां किसी तरह की सुस्ती का अंदेशा अपेक्षाकृत कम है।
कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड किसी प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने का रहा है। इसलिए उससे एक बार जो काम करा लेता है, वह दोबारा भी उसके पास आता है। इसी का प्रमाण है कि कंपनी अपनी आय का तकरीबन 50 फीसदी हिस्सा अपने पुराने ग्राहकों से मिले प्रोजेक्ट से हासिल कर रही है। कंपनी के पास इस पर 4500 करोड़ रुपए के ऑर्डर हैं। वह अतीत में चेन्नई एयरपोर्ट का 1210 करोड़ और गोवा एयरपोर्ट का 200 करोड़ रुपए का ऑर्डर हासिल करने में सफल रही है। कंपनी ने चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद, दिल्ली, कोलकाता, पुणे और त्रिवेंद्रम में अपने दफ्तर बना रखे हैं। वह दक्षिण भारत के बाहर अपना दायरा बढ़ाने में लगी है। साथ ही उसने मध्य-पूर्व में भी अपना दफ्तर खोला है ताकि खाड़ी के देशों से उसे प्रोजेक्ट मिल सकें। कंपनी की योजना सड़कों के निर्माण में भी उतरने की है।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 1950.04 करोड़ रुपए की आय पर 93.56 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष 2010-11 की सितंबर तिमाही में उसने 489.52 करोड़ रुपए की आय पर 13.73 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है, जबकि पिछले साल की सितंबर तिमाही में उसने इससे कम 451.29 करोड़ की आय पर इससे ज्यादा 21.08 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज का आकलन है कि वित्त वर्ष 2011-12 में कंपनी का ईपीएस 7.02 रुपए होगा। इस तरह उसका शेयर अगले वित्त वर्ष के ईपीएस से 8.68 गुने भाव पर चल रहा है। इसलिए इसमें साल भर का निवेश अच्छा रिटर्न दे सकता है।
बता दें कि कंपनी के प्रवर्तक और चेयरमैन व सीईओ आर सरबेस्वर हैं। वे सिविल इंजीनियर हैं और उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट की डिग्री भी ली है। एल एंड टी, सदर्न पेट्रो (स्पिक), सऊदी अरब के शोभाक्षी समूह में लंबे समय तक काम करने के बाद उन्होंने सीसीसीएल की स्थापना की है। कंपनी की 36.96 करोड़ रुपए की इक्विटी में उनका हिस्सा 50.63 फीसदी है, जबकि एफआईआई का निवेश 6.78 फीसदी और डीआईआई का 8.73 फीसदी है।