ऑलकार्गो ग्लोबल लॉजिस्टिक्स (बीएसई कोड-532749) का शेयर बहुत सस्ता तो नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसकी बुक वैल्यू 70.74 रुपए है जबकि शेयर का भाव इस समय बीएसई में 170 रुपए तो एनएसई में 170.45 रुपए चल रहा है। यानी बुक वैल्यू से करीब 2.40 गुना। लेकिन पी/ई अनुपात के लिहाज से देखें तो यह अपनी समकक्ष कंपनियों – ब्लू डार्ट और गति से अपेक्षाकृत सस्ता है। इसका पी/ई अनुपात 21.23 है तो ब्लू डार्ट का 30.41औरऔर भी

निटको कंपनी या ब्रांड के नाम से शायद आप परिचित होंगे। 1953 में बनी कंपनी है और टाइल्स व मार्बल का धंधा करती है। टाइल्स वह मुंबई के बाहर अलीबाग में बनाती है और इटली, स्पेन, चेकोस्लवाकिया व चीन जैसे देशों से आयातित मार्बल की प्रोसेंगिग मुंबई के भीतर कांजुर मार्ग में करती है। कंपनी ने 2009-10 में कुल मिलाकर 8.71 करोड़ रुपए का घाटा उठाया था। लेकिन मार्च 2010 की तिमाही में वह 2.50 करोड़ रुपएऔरऔर भी

मर्क लिमिटेड (बीएसई कोड-500126) का नाम पहले ई. मर्क हुआ करता था। यह बीएसई के साथ-साथ एनएसई में भी लिस्टेड है। फार्मा और केमिकल उद्योग की बहुराष्ट्रीय कंपनी है। इस समूह की मौजूदगी दुनिया के 64 देशों में है। मूल कंपनी जर्मनी की है जिसने सारे यूरोपीय संकट के बीच भी जून 2010 की तिमाही में 18.34 करोड़ यूरो का शुद्ध लाभ कमाया है जो पिछले साल की समान अवधि के शुद्ध लाभ 10.85 करोड़ यूरो सेऔरऔर भी

अलेम्बिक (बीएसई कोड – 506235), इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग्स (बीएसई कोड – 500128) और विविमेड लैब्स (बीएसई कोड – 532660)। ये तीन कंपनियां बीएसई के बी ग्रुप में शामिल हैं और एनएसई में भी लिस्टेड हैं। एंजेल ब्रोकिंग के डायरेक्टर-रिसर्च ललित ठक्कर का मानना है कि ये तीनों स्टॉक काफी संभावना रखते हैं। इनमें कोई न कोई ट्रिगर है और साल भर में ये 40 से 50 फीसदी का रिटर्न दे सकते हैं। यानी, आज आपने इनमें 1000 रुपएऔरऔर भी

नैवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन (एनएलसी) बढ़ रही है, लेकिन उसका शेयर ठहरा हुआ है। सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी ने इस साल जून की पहली तिमाही में 342.10 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल किया है जो साल भर पहले की इसी अवधि के शुद्ध लाभ 287.64 करोड़ रुपए से 18.93 फीसदी ज्यादा है। इससे पहले पूरे वित्त वर्ष 2009-10 में उसका शुद्ध लाभ 52 फीसदी बढ़ा था। उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) अब 51.49 फीसदी हो गयाऔरऔर भी

पहले इसका नाम जिंदल स्टेनलेस स्टील था। 2008 में इसके जेएसएल बनाया गया और फिर मई 2010 में इसे जेएसएल स्टनेलेस लिमिटेड (बीएसई कोड – 532508, एनएसई कोड – जेएसएल) कर दिया गया है। इक्रा ऑनलाइन की एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि यह देश में स्टेनलेस स्टील बनानेवाली सबसे बड़ी कंपनी है। घरेलू स्टेनलेस स्टील बाजार में उसकी हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी है। उसकी छह भारतीय और 11 विदेशी सब्सिडियरियां हैं। कंपनी के दो रुपए अंकितऔरऔर भी

किसी शेयर की बुक वैल्यू 17.97 रुपए हो और बाजार में उसका भाव पिछले कई महीनों से 12-14 रुपए चल रहा हो तो समझ में नहीं आता। लेकिन नाकोडा लिमिटेड का हाल ऐसा ही है। ऐसा नहीं कि इसके बारे में किसी को जानकारी न हो और यह कोई गुमनाम कंपनी हो। मीडिया से लेकर इंटरनेट के अलग-अलग फोरम पर इसके बारे में बराबर लिखा जा रहा है। कइयों ने इसे मल्टी बैगर (कई गुना रिटर्न देनेवाला)औरऔर भी

कैम्फर एंड एलायड प्रोडक्ट्स का शेयर केवल बीएसई में लिस्टेड है। शुक्रवार को यह 12.18 फीसदी बढ़कर 128.95 रुपए पर बंद हुआ और इसमें कारोबार भी औसत से बहुत ज्यादा हुआ। जहां पिछले दो हफ्तों का औसत 33,000 शेयरों का रहा है, वहीं शुक्रवार को इसमें 2.33 लाख शेयरों का कारोबार हुआ। इसके पीछे की वजह यह है कि कंपनी के बारे में कोई बड़ी खबर आने को है। जानकार बताते हैं कि इस शेयर में अभीऔरऔर भी

हफ्ते भर में कभी फुरसत ही नहीं मिलती कि आपसे कोई सीधी बात हो सके। तीन महीने बीत गए, चौथा बीतने जा रहा है। देखिए, एक बात तो तय मानिए कि हमारा रिश्ता लंबा होने जा रहा है। अर्थकाम को धीरे-धीरे ऐसा बना देना है कि वह हमारी-आपकी दुनिया की देखभाल में सक्षम हो जाए। मेरे एक अभिन्न मित्र ने शुरुआत के वक्त कहा कि चलिए आप अर्थ-काम देखिए, हम धर्म-मोक्ष संभाल लेते हैं। बात मुझे अचानकऔरऔर भी

सुबह लिखते समय हमें भी इतनी उम्मीद नहीं थी। लेकिन दोपहर के करीब 1 बजे थे और ऋद्धि सिद्धि ग्लूको बिऑल्स का शेयर 20 फीसदी बढ़कर जैसे ही 338.75 रुपए पर पहुंचा, उस पर सर्किट ब्रेकर लग गया और इसमें बाकी दिन के लिए कारोबार रुक गया। लेकिन तब तक उसमें 6.34 लाख शेयरों की ट्रेडिंग हो चुकी थी, जबकि पिछले दो हफ्तों का औसत कारोबार 90,000 शेयरों का ही रहा है। ऐसा क्या हो गया तोऔरऔर भी