शेयर बाज़ार की नब्ज़ डूबती जा रही है। बाज़ार बराबर उठते-उठते गिर जाता है। न अंदर की खबर दिलासा दिलाती है, न बाहर की खबरें उम्मीद जगाती हैं। गिनती नहीं कि कितनी कंपनियों के शेयर 52 हफ्ते ही नहीं, ऐतिहासिक तलहटी के आसपास हैं। लेकिन निराशा व हताशा का यह दौर अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदने का अच्छा मौका दे रहा है। यकीन मानें, इस रात की सुबह ज़रूर होनी है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार अर्थव्यवस्था या कंपनी के वर्तमान नहीं, भविष्य को दिखाता है। हमारी अर्थव्यवस्था की हालत इस समय यकीनन खराब है। जहां एक तरफ देश में पहली बार मांग घटी है, वहीं घरेलू बचत में भारी कमी आई है। पर ये स्थिति हमेशा नहीं रहने जा रही। इसमें सुधार का आना पक्का है। समझदार निवेशक इसे देख चुनिंदा कंपनियों में निवेश बढ़ाने लगे हैं। आज तथास्तु में पेश है ऐसे निवेशकों की निगाह में चढ़ी एक कंपनी…औरऔर भी

जब हर तरफ हंगामा मचा हो, भरोसा भरभराकर टूट रहा हो, तब परम्परा की सुरक्षित राह पकड़ने में ही समझदारी है। तब बहुत उछल-कूद मचाने के बजाय शांति से चलना उचित होता है और बड़ों के चक्कर में पड़ने के बजाय छोटों पर दांव लगाना कम रिस्की होता है। आज हम तथास्तु में ऐसी ही एक जमी-जमाई कंपनी पेश कर रहे हैं जो परम्परागत धंधे में लगी है और स्थाई भाव से बराबर बढ़ती जा रही है।औरऔर भी

जब टाटा स्टील से लेकर मारुति सुज़ुकी जैसे स्टॉक्स 52 हफ्ते की तलहटी पर टहल रहे हों, तब शेयर बाज़ार को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक है। यह भी चिंता की बात है कि शेयर गिर जाने के बाद दोबारा पुराना शिखर नहीं पकड़ पाते। अगर इसकी खास वजह कंपनी के बिजनेस मॉडल का अप्रासंगिक हो जाना हो, तब बात अलग है। अन्यथा, उनके उठने की संभावना तो बनी ही रहती है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

हर दिन सैकड़ों स्टॉक्स 52 हफ्ते की नई तलहटी पकड़ रहे हैं। शुक्रवार को ही एनएसई में 293 स्टॉक्स ने तलहटी पकड़ ली। छोटी कंपनियों की हालत ज्यादा ही खस्ता है। बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक जनवरी 2018 के शिखर से 35% से ज्यादा गिर चुका है। एक अध्ययन के मुताबिक 2010 के बाद से जो 228 स्टॉक्स 75% से ज्यादा गिरे हैं, उनमें से केवल आठ पुरानी ऊंचाई पर लौट सके। निराशा के बीच आशा जगाती एक कंपनी…औरऔर भी

महज दो दिन में शेयरधारकों के 3.79 लाख करोड़ रुपए स्वाहा। यस बैंक पिछले साल अगस्त के बाद 78% गिर चुका है। इससे बाकी शेयरधारकों की बात छोड़िए, उसके मालिक व कर्ताधर्ता रह चुके राणा कपूर के ही लगभग 7000 करोड़ रुपए उड़ गए। शेयर बाज़ार के रिस्क को समझने के लिए कभी-कभी इन झटकों पर गौर कर लेना चाहिए। लेकिन बहते पानी में बुलबुलों की गिनती नहीं की जाती। अब तथास्तु में आज की खास कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार कोई मां या मौसी नहीं कि आपकी परवाह करे। उसे नहीं लगता कि आप इतने खास हैं कि आपको औरों से ज्यादा मिलना चाहिए। आप अगर नाकाम होते हैं तो शेयर बाज़ार आपको बचाने या ढाढस बंधाने नहीं आता। मगर हम यह हकीकत स्वीकार करने से भागते हैं। धन गंवाने का दोष दूसरों पर मढ़ते हैं। ध्यान रखें कि यहां अपने किए की सारी ज़िम्मेदारी खुद उठानी पड़ती है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

बहुत छोटी कंपनियां शेयर बाज़ार में अक्सर बहुत बड़ा कमाल कर देती हैं। हमने करीब पांच साल पहले 10 अगस्त 2014 इसी कॉलम में केवल बीएसई में लिस्टेड कंपनी मॉरगैनाइट क्रुसिबल को चुना था। पिछले चार सालों में कंपनी का शुद्ध लाभ ढाई गुना बढ़ा है, जबकि इसी दौरान उसका शेयर छह गुना (385 से 2330) तक उठने के बाद अब भी साढ़े तीन गुना (1365) ऊपर है। आज भी तथास्तु में पेश है एक माइक्रोकैप कंपनी…औरऔर भी

अर्थव्यवस्था की लटें शिव की जटाओं की तरह उलझी हुई हैं। एक लट खुलते ही गंगा बह निकलती है। अर्थव्यवस्था की लटें भी जितनी अच्छी तरह खोली जाएं, देश में विकास की गंगा उतनी ही बेधड़क बहने लगती है। हर साल बजट इन्हीं लटों को खोलने का काम करता है। देखना यह है कि पांच साल के कदमताल के बाद मोदी सरकार नए कार्यकाल के पहले बजट में क्या करती है। तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

बड़ी व ब्लूचिप कंपनियों के शेयर चढ़ते जा रहे हैं, जबकि स्मॉल व मिडकैप कंपनियों के शेयर ज़मीन से उठ नहीं पा रहे। यह सिलसिला जनवरी 2018 के बाद से बदस्तूर जारी है। खास वजह यह है कि अर्थव्यवस्था के मुश्किल वक्त में निवेशकों को ब्लूचिप कंपनियों में सुरक्षा दिखती है, जबकि छोटी व मझोली कंपनियों में खतरा। लेकिन वक्त सुधरते ही शीर्ष सूचकांकों से बाहर पड़ी कंपनियां भी चमक सकती हैं। तथास्तु में एक संभावनामय कंपनी…औरऔर भी