शेयर बाज़ार से कमाना है तो सही वक्त पर निवेश के साथ-साथ निर्धारित लक्ष्य के पूरा होते ही निकल जाने का अनुशासन मानना चाहिए। मसलन, हमने पंजाब नेशनल बैंक में 10 जनवरी 2016 को 105 रुपए पर निवेश की पेशकश करते हुए सवा तीन साल में 212 तक पहुंचने का लक्ष्य रखा था। लेकिन वो 26 अक्टूबर 2017 को ही 231 पर पहुंच गया। तब जो निकला, वो खुश। बाकी दुखी। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

सरकारें आती हैं, जाती हैं। इसी तरह घोटाले आते हैं, जाते हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की निहित संभावना के पूरी तरह निखरने पर खास फर्क नहीं पड़ता। हां, थोड़ी देर हो सकती है। लेकिन भारत की विकासगाथा को परवान चढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए आम निवेशक के लिए यही बेहतर होगा कि हवाबाज़ी या घबराहट में आए बगैर वो अच्छी कंपनियों के स्वामित्व में अपना छोटा हिस्सा जुटाता जाए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

उठना-गिरना शेयर बाज़ार का स्वभाव है। अहम बात है सही वक्त पर निवेश करना क्योंकि यही दिलाता है बाज़ार का भरपूर फायदा। बाज़ार इधर गिरा है। तमाम शेयर भी गिरे हैं। लेकिन यह गिरावट भी सही वक्त पर किए गए निवेश की बराबरी नहीं कर सकती। आज हम जो कंपनी उठा रहे हैं, उसमें अगर किसी ने पहले बताए हमारे वक्त पर निवेश किया होगा तो उसका धन 22 महीने में लगभग तीन गुना हो चुका होगा…औरऔर भी

चौदह सालों से हम निश्चिंत थे कि शेयर खरीदकर साल भर के बाद बेचा तो कोई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन बजट ने यह सुकून छीन लिया। 31 जनवरी 2018 के बाद शेयरों में निवेश से एक लाख से जितना ज्यादा कमाया, उस पर 10% टैक्स देना पड़ेगा। वैसे, इसका एक फायदा यह है कि घाटा लगा तो उसे हम अपनी करदेयता में एडजस्ट कर सकते हैं। अब तथास्तु में एक नई कंपनी…औरऔर भी

हर कंपनी अलग तरह के निवेशकों व ट्रेडरों को खींचती है। नतीजतन कंपनियों के शेयर का स्वभाव अलग-अलग बन जाता है। इस आधार पर कुछ कंपनियां हीरे की तरह सदा के लिए होती हैं तो कुछ ऐसी होती हैं जिनमें बीच-बीच में बेचकर मुनाफा कमा लेना ज्यादा उचित होता है। आज हम तथास्तु में इसी तरह की एक कंपनी पेश कर रहे हैं जो है तो मजबूत और संभावनाओं से भरी। लेकिन शेयर गोता खाता रहता है।…औरऔर भी

शेयर बाज़ार का अपना स्वभाव होता है और उस पर मानने या मनाने का कोई असर नहीं पड़ता। मगर, जिस तरह इस वक्त तमाम अच्छी कंपनियों के शेयर चढ़े हुए हैं, उसमें इच्छा होती है कि काश! वे जमकर गिर जाते तो हमें निवेश का सुरक्षित मौका मिल जाता। फिलहाल, इच्छाओं को परे रखकर हमें समय की शरण में चले जाना चाहिए और अच्छे शेयरों के गिरने का इंतज़ार करना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार या किसी भी वित्तीय बाज़ार में निवेश तभी करना चाहिए जब आप जितना लगा रहे हैं, उसे डुबाने के तैयार हों। कहने का यह बड़ा औघड़ अंदाज़ है। लेकिन कड़वी हकीकत यही है कि यह बाज़ार इतना रिस्की है कि आप जितना धन लगाते हैं, वह सारा का सारा डूब सकता है। इसलिए इसमें वही धन लगाएं जिसके डूबने पर आपके ठाट-बाट और सेहत पर कोई फर्क न पड़े। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार के प्रमुख सूचकांक निफ्टी-50 ने 28.47 का सर्वोच्च पी/ई अनुपात या अब तक का सबसे महंगा स्तर 11 फरवरी 2000 को पकड़ा था। तब डॉटकॉम का बुलबुला और केतन पारेख का घोटाला चरम पर था। फिर 28.29 का स्तर उसने 8 जनवरी 2008 को पकड़ा। मगर बाज़ार नौ महीने बाद करीब 60% गिर गया। अभी शुक्रवार, 5 जनवरी 2018 को निफ्टी-50 का पी/ई अनुपात 26.99 रहा है। इसलिए सावधान! अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

ब्रोकर क्या कहता है, मीडिया क्या कहता है, दोस्त क्या कहते हैं, बाज़ार कितना चढ़ा है, इससे आपके निवेश पर फर्क नहीं पड़ना चाहिए। निवेश बहुत अनुशासित काम है जिसमें सारा रिस्क व रिवॉर्ड आपका होता है। इसलिए अपने हितों को कभी आंच न आने दें। देखें कि जो शेयर खरीद रहे हैं, उसमें मूल्य है कि नहीं और उसका भाव आपको सुरक्षित मार्जिन दे रहा है या नहीं। अब तथास्तु में साल 2017 की आखिरी कंपनी…औरऔर भी

समय व हालात के हिसाब से अगर बदले नहीं तो विशाल डायनासोर का वजूद भी मिट जाता है। कैसेट व वीसीआर जैसे न जाने कितने उद्योगों का अब कोई नामलेवा नहीं बचा। कंपनियां वक्त की मांग को देखते हुए तेल से सॉफ्टवेयर तक में शिफ्ट कर जाती हैं। हमें निवेश के लिए कंपनियां चुनते वक्त इस सच को हमेशा ध्यान में रखना पड़ता है। आज तथास्तु में पुराने के साथ नए को भी अपनाती एक तगड़ी कंपनी…औरऔर भी