पूंजी बाजार की नियामक संस्था सेबी और बीमा क्षेत्र की नियामक संस्था आईआरडीए में अपने हलके को लेकर तलवारें खिंच चुकी हैं। अभी तक आईआरडीए को यकीन था कि जीवन बीमा कंपनियों की तरफ से जारी बीमा कवर व निवेश पर फायदे का लाभ देनेवाले यूलिप (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान) पर केवल उसी का नियंत्रण चलेगा। लेकिन शुक्रवार को देर शाम सेबी ने आदेश सुना दिया कि कोई भी बीमा कंपनी बिना उससे रजिस्ट्रेशन लिए न तोऔरऔर भी

जीवन बीमा कंपनियों के यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) पर नियंत्रण का झगड़ा शुक्रवार को अपने चरम पर पहुंच गया, जब सेबी ने साफ-साफ कह दिया कि उसके पास पंजीकरण कराए बगैर कोई बीमा कंपनी यूलिप या ऐसा कोई भी उत्पाद नहीं ला सकती है जिसमें बीमा के अलावा निवेश का भी हिस्सा हो। पूंजी बाजार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत सरन की तरफ से सुनाए गए 11 पेजों केऔरऔर भी

अगर दांतेवाड़ा का नक्सली हमला एक महीने पहले हो जाता तो शायद सरकारी कंपनी एनएमडीसी का 10 से 12 मार्च तक खुला एफपीओ (फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर) एकदम सब्सक्राइब ही नहीं हो पाता क्योंकि कंपनी अपने लौह अयस्क का 80 फीसदी हिस्सा इसी जिले की खानों से निकालती है। वह कुल 290 लाख टन लौह अयस्क का उत्पादन करती है जिसमें से 220 लाख टन दांतेवाड़ा जिले की बैलाडीला और 70 लाख टन कर्णाटक की दोणिमिले खानोंऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा करनेवाली सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरेगा में धन के वितरण की कोई समान नीति नहीं है। बुधवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि इस योजना में भारी-भरकम रकम डाली गई है। लेकिन यह रकम या तो सही लाभार्थियों तक न पहुंचकर गलत हाथों में चली जाती है याऔरऔर भी

केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि इस सीजन में खरीदे जानेवाले लगभग 263 लाख टन गेहूं का 20 फीसदी हिस्सा खुले में रखना पड़ेगा क्योंकि देश में इसके भंडारण की उचित सुविधाएं नहीं हैं। पिछले साल गेहूं की सरकारी खरीद 254 लाख टन रही थी जो इस साल 9 लाख टन ज्यादा रहेगी। बता दें कि इस बार पंजाब व हरियाणा में गेहूं की बंपर फसल हुई है। सरकारी संस्था भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) केऔरऔर भी

देश के अनुसूचित वाणिज्यक बैंकों ने बीते वित्त वर्ष 2009-10 के आखिरी पखवाड़े में 1,15,549 करोड़ रुपए का ज्यादा कर्ज दिया है। यह पूरे वित्त वर्ष में बैंक कर्ज में हुई कुल 4,64,850 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी का 24.85 फीसदी है। रिजर्व बैंक की तरफ से बुधवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक 26 मार्च 2010 को बैंकों द्वारा दिए गए कुल कर्ज की मात्रा 32,40,399 करोड़ रुपए है, जबकि 12 मार्च 2010 को खत्म हुए पखवाड़ेऔरऔर भी

अगले महीने मई की पहली तारीख या उसके बाद पब्लिक इश्यू लानेवाली किसी भी कंपनी को अपने शेयर इश्यू बंद होने के 12 दिन के भीतर स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध या लिस्ट करा देने होंगे। पूंजी बाजार नियामक संस्था सेबी ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। इसमें इश्यू बंद होने और लिस्ट होने की तारीखें शामिल हैं। इसलिए व्यावहारिक रूप से कंपनी के पब्लिक इश्यू और उसके शेयरों की लिस्टिंग के बीच का समय अब घटकर 10औरऔर भी

देश में सक्रिय दुनिया की चार ऑडिट फर्में ऐसे-ऐसे काम भी कर रही हैं जिनकी उन्हें इजाजत नहीं दी गई है। यह कहना है देश में एकाउंटिंग व ऑडिटिंग की नियामक संस्था आईसीएई (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंटट्स ऑफ इंडिया) की एक शीर्ष समिति का। आईसीएआई के पूर्व अध्यक्ष उत्तम प्रकाश अग्रवाल की अगुआई में बनी इस समिति का कहना है कि प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स, केपीएमजी, अर्न्स्ट एंड एंग और डेलॉइटे को देश में कंसलटेंसी सेवाएं देने कीऔरऔर भी

शायद आपको नहीं पता है कि अब कोई भी डॉक्टर दवा कंपनियों ने न तो फ्री गिफ्ट ले सकता है और न ही उसके द्वारा स्पांसर की गई यात्रा पर जा सकता है। इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने दोषी डॉक्टरों के नाम अपने रजिस्टर से काट देने की सजा रखी है जिसके बाद कोई भी डॉक्टर कानूनी रूप से प्रैक्टिस नहीं कर सकता। इस समय एमसीआई उन 200 डॉक्टरों का नाम पता ढूंढने मेंऔरऔर भी

यह किसी आम आदमी का नहीं, बल्कि हिंदुस्तान टाइम्स समूह के बिजनेस अखबार मिंट के डिप्टी एडिटर स्तर के खास आदमी का मामला है। उनका नाम क्या है, इसे जानने का कोई फायदा नहीं। लेकिन उनके साथ घटा वाकया जानने से बीमा उद्योग का ऐसा व्यावहारिक सच हमारे सामने आता है जो साबित करता है कि इस उद्योग में निहित स्वार्थों का ऐसा नेक्सस बना हुआ है जिसका मकसद बीमा उद्योग या कंपनी का विकास नहीं, बल्किऔरऔर भी