आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ व प्रबंध निदेशक चंदा कोचर का एचआरए (हाउस रेंट एलाउंस) 1 अप्रैल, 2010 से 2.50 लाख रुपए प्रति माह कर दिया गया है। इसके ऊपर से मकान के रखरखाव व फर्नीचर वगैरह का खर्च भी बैंक उठाएगा। कोचर को एचआरए व मकान संबंधी अन्य सुविधाएं तब मिलेंगी, जब वे बैंक द्वारा दिए गए आवास में नहीं रहती हैं। इससे पहले तक उनका एचआरए 1 लाख रुपए प्रति माह था। उनका वेतन 13.5 लाखऔरऔर भी

बैंकों को हर साल अपने कर्ज का 18 फीसदी हिस्सा कृषि क्षेत्र को देना होता है। इसमें से भी 13.5 फीसदी कर्ज सीधे किसानों को दिया जाना चाहिए। नए साल में कर्ज की राशि बीते वित्त वर्ष 31 मार्च तक वितरित रकम के आधार पर निकाली जाती है। बैंकों के लिए यह लक्ष्य पूरा कर पाना हमेशा मुश्किल होता है। जैसे, 2009-10 में गांवों तक पहुंच रखनेवाला बैंक ऑफ बड़ौदा तक 17 फीसदी ही कृषि ऋण देऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी हर दिन एकाध कंसेंट ऑर्डर तो पास ही कर देती है। यह प्रतिभूति कानून को तोड़नेवाले पक्ष के खिलाफ प्रशासनिक या दीवानी कार्यवाही को निपटाने का आदेश होता है। इसमें कानून तोड़ने के दोष का निर्धारण किया भी जा सकता है और नहीं भी। संसद ने सेबी एक्ट 1992 के अनुच्छेद 15टी(2) के अंतर्गत सेबी को कंसेंट ऑर्डर पास करने का अधिकार दे रखा है। यह असल में आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंटऔरऔर भी

सेबी एक्ट 1992 के अनुच्छेद 15-ए के अनुसार अगर कोई व्यक्ति इस पूंजी नियामक संस्था की तरफ से मांगी गई जानकारी या दस्तावेज मुकर्रर तारीख पर नहीं उपलब्ध कराता तो उस पर हर दिन की देरी पर एक लाख रुपए रोजाना की दर से जुर्माना लगाया जा सकता है। इस जुर्माने की कुल रकम अधिकतम एक करोड़ रुपए हो सकती है। लेकिन जुर्माना तय करते समय सेबी का न्यायिक अधिकारी अनुच्छेद 15-जे को भी ध्यान में रखताऔरऔर भी

देश की अदालतों में इस समय चेक बाउंस के 38 लाख से ज्यादा मामले दाखिल हैं।  इनसे आजिज आकर अब सुप्रीम कोर्ट ने आउट-ऑफ-कोर्ट निपटारे के लिए दिशानिर्देश बना दिए हैं। चेक बाउंस को 1989 में दंडनीय अपराध माना गया और 2002 से इसमें समरी ट्रायल का प्रावधान किया गया। अब तय हुआ है कि अगर जिसका चेक बाउंस हुआ है, वह निचली अदालत के फैसले को चुनौती देता है तो उस पर दंड की रकम बढ़तीऔरऔर भी

पिछले तीन साल के दौरान देश में दालों का उत्पादन करीब 140 लाख टन से 148 लाख टन के बीच ठहरा हुआ है, जबकि इस अवधि में दालों की अनुमानित मांग 170 लाख टन से 180 लाख टन रही है। इस तरह देश में हर साल 30-40 लाख टन दाल की कमी पड़ती है। वर्ष 2008-09 के में दाल उत्पादन 145 लाख टन था, जो 2009-10 में 147 लाख टन हो गया। यानी साल भर में दालऔरऔर भी

पिंक पैंथर हॉलीवुड की फिल्म भी है, कार्टून कैरेक्टर भी। पिंक पैंथर-2 में ऐश्वर्या राय भी काम कर चुकी हैं। लेकिन शेयर बाजार की महफिलों में पिंक पैंथर का एक ही नाम है – केतन पारेख। केतन पारेख पर भले ही सेबी ने बैन लगा हो, लेकिन माना यही जाता है कि यह शख्स बाजार में किसी न किसी रूप में बराबर सक्रिय रहता है। केतन ने जितनी भी फर्में बनाईं, ज्यादातर के नाम में पैंथर शब्दऔरऔर भी

कंपनी एक्ट 1956 के अनुसार किसी भी भारतीय कंपनी का विलय विदेशी कंपनी में नहीं हो सकता है। हां, विदेशी कंपनी का विलय भारतीय कंपनी में जरूर हो सकता है। मतलब, कोरस का विलय टाटा स्टील में हो सकता है, टाटा स्टील का कोरस में नहीं। भारती एयरटेल ज़ैन टेलिकॉम से हाथ तो मिला सकती है, उसका अपने में विलय भी कर सकती है। लेकिन वह खुद बड़ी सी बड़ी विदेशी कंपनी में विलीन नहीं हो सकतीऔरऔर भी

यूं तो संसद में पेश किया गया कटौती प्रस्ताव सरकार के लिए काफी खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसके पारित होने पर सरकार गिर सकती है। इसे अनुदान मांगों या किसी प्रस्ताव के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश किया जाता है। लेकिन इसकी कामयाबी का सारा दारोमदार लोकसभाध्यक्ष पर है। अगर उन्होंने कटौती प्रस्ताव पर सदन में मतदान की इजाजत नहीं दी तो मूल प्रस्ताव या अनुदान मांगों को ही पारित मान लिया जाता है। मान लिया जाताऔरऔर भी

कंपनी एक्ट में कहा गया है कि आपको अपने जीवित रहने अपनी शेयरधारिता के लिए नॉमिनी तय करना होगा। अगर यह नॉमिनी और आपका कानूनी वारिस (पत्नी या बच्चे) एक ही हैं तो कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन आपका नॉमिनी इनसे अलग है तो आपके न रहने पर शेयर उसी को मिलेंगे, आपके कानूनी वारिस को नहीं। यह फैसला हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया है।और भीऔर भी