दिल्ली के प्रगति मैदान के जिस भारत मंडपम में जी-20 का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है, उसे आधुनिकता व समावेशी राष्ट्र के प्रतीक हॉल ऑफ नेशंस की भव्य इमारत को ढहाकर बनाया गया है। मशहूर आर्किटेक्ट राज रेवाल और स्ट्रक्चरल इंजीनियर महेंद्र राज ने इसे अपनी संपूर्ण मेधा का इस्तेमाल करते हुए आज़ादी की 25वीं वर्षगांठ पर साल 1972 में बनाया था। उन्होंने आधुनिक ज्यामितीय स्पष्टता बरतते हुए इसे भारत के आत्मनिर्भर होते जाने के प्रतीक के रूप में बनाया था। इसे ढहाकर बनाए शंख के आकार में बनाए गए भारत मंडपम के आर्किटेक्ट आरकॉप एसोसिएट्स के कोई संजय सिंह हैं। जी-20 के नीति वाक्य के रूप में वसुधैव कुटुम्बकम को प्रचारित किया गया, जिसका अर्थ है कि पूरी धरती एक परिवार है। महाउपनिषद से लिया गया संस्कृत का यह वाक्य यकीनन एक व्यापक भावना व्यक्त करता है। लेकिन इसमें ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ का अर्थ कहीं से समाहित नहीं होता और यह जी-20 के लोगो में भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल को डालने की तरह ‘हिंदू’ श्रेष्ठता को आरोपित करने की बेजा कोशिश है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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