विकास के हाइप पर यकीन बड़ी गलती

नए वित्त वर्ष 2024-25 का आगाज़। नए हफ्ते का पहला दिन। ऐसा संयोग कभी-कभी ही मिलता है। हमें इसे अप्रैल-फूल के चक्कर में व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, बल्कि सत्य के सफर का प्रस्थान बिंदु बना लेना चाहिए। हम महज शेयर बाज़ार के निवेशक या ट्रेडर ही नहीं, बल्कि अपनी अर्थव्यवस्था के सबसे प्रतिबद्ध प्रेक्षक भी हैं। कारण, निवेशक व ट्रेडर के रूप में हमारा पूरा वजूद ही अर्थव्यवस्था के हाल पर टिका हुआ है। इसलिए सारे हाइप से निकलकर अपनी अर्थव्यवस्था के सच को समझना हमारी प्राथमिक ज़िम्मेदारी है। दूसरे लोग तो अपनी-अपनी ज़िंदगी के बोझ से इतने दबे हैं कि उनके पास सिर उठाकर देखने की फुरसत ही नहीं। लेकिन हम तो अर्थव्यवस्था का सच न देखें तो अपने साथ ही धोखा कर बैठेंगे। भारत रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर, अर्थशास्त्री और इस समय शिकागो विश्वविद्यालय में फाइनेंस के प्रोफेसर रघुराम राजन तक ने आगाह किया है कि भारत अपने मजबूत आर्थिक विकास के इर्दगिर्द बनाए गए ‘हाइप’ पर यकीन करके बड़ी गलती कर रहा है क्योंकि बहुत सारी अहम संरचनागत समस्याएं हैं जिन्हें सुलझाए बगैर वह अपनी पूरी संभावना हासिल नहीं सकता। शिक्षा को दुरुस्त किए बिना भारत कैसे विकसित देश बन सकता है? अब सोमवार का व्योम…

यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं। इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...

Existing Users Log In
   
New User Registration
Please indicate that you agree to the Terms of Service *
captcha
*Required field