दुर्भाग्य की चासनी

दुर्भाग्य कहीं आसमान से नहीं टपकता। वह तो हमारे ही कर्मों का नतीजा होता है। हां, वह अपने साथ इतनी चासनी लेकर ज़रूर आता है कि कुछ सोचे-समझे बिना हम उसके स्वागत के लिए लपक पड़ते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *