रिजर्व बैंक गवर्नर डी सुब्बाराव ने साफ कह दिया है कि ब्याज दरों के बढ़ने का चक्र अब पूरा हो गया है और आगे इनमें कमी ही आएगी। ऊपर से लगता है कि ब्याज दर ऊंची रहने से बैंकों को फायदा होता है। लेकिन हकीकत यह है कि ब्याज घटने से बैंकों का धंधा बढ़ता है। ब्याज घटने और धंधा बढ़ने की इसी उम्मीद में बैंकों के शेयर अब बढ़ने लगे हैं। कल सेंसेक्स 1.46 फीसदी बढ़ा तो बैंकेक्स इसके दोगुने से ज्यादा 3.21 फीसदी बढ़ गया। इसी तरह जहां निफ्टी 1.61 फीसदी बढ़ा, वहीं बैंक निफ्टी 3.30 फीसदी बढ़ गया। लेकिन सवाल है कि बैंकों में भी किस बैंक को चुना जाए? हमारे-आप जैसे एक आम छोटे निवेशक के लिए लंबे समय में किस बैंक में किया गया निवेश लाभकारी होगा?
हमने सबसे पहले 31 मई 2010 को इसी कॉलम में सिटी यूनियन बैंक के बारे में लिखा था। तब इसका एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर 33 रुपए चल रहा था। हमने कहा था कि यह तीन महीने में 40 रुपए तक जा सकता है। 6 अगस्त 2010 के बाद यह पूरे महीने 40 रुपए के ऊपर बंद हुआ। इस दौरान 17 अगस्त 2010 को ऊपर में 49.35 रुपए तक चला गया। दिसंबर 2010 में 54.05 रुपए तक उठा। फिर गिरा तो 10 फरवरी 2011 को 36.30 के न्यूनतम स्तर तक पहुंचा। इसके बाद उठता-उठता 14 जुलाई 2011 को यह 50.50 रुपए की ऊंचाई तक पहुंच गया। फिर गिरने का क्रम शुरू हुआ तो पिछले महीने दिसंबर में 39.15 रुपए तक चला गया। फिलहाल कल, 24 जनवरी 2012 को बीएसई (कोड – 532210) में 41.70 रुपए और एनएसई (कोड – CUB) में 41.60 रुपए पर बंद हुआ है।
यूं तो गिरते बाजार में दो साल के दौरान 25 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिल जाना कोई बुरा नहीं है। लेकिन हमारा सुझाव है कि सिटी यूनियन बैंक को लंबे समय के निवेश का हिस्सा बनाकर रखना चाहिए। मतलब पांच से दस साल तक इसमें बने रहना चाहिए। इस समय भी इसे खरीदने का अच्छा मौका है। हमारी गणना के हिसाब से यह स्टॉक चार-पांच साल में आपके निवेश को कम से कम दोगुना कर सकता है। यह मिड कैप स्टॉक है। उसका सितंबर 2011 तक के बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 6.02 रुपए है। इस तरह फिलहाल उसका शेयर 6.92 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। उसकी प्रति शेयर बुक वैल्यू 28.15 रुपए है। यानी, बाजार भाव बुक वैल्यू का 1.48 गुना चल रहा है, जिसे बहुत वाजिब माना जाएगा।
इससे भी बड़ी बात यह है कि इस बैंक में संभावनाएं बहुत हैं और लंबी मजबूत परंपरा है इसके पीछे। इस बैंक का गठन तमिलनाडु के छोटे से शहर कुंभकोणम में 1904 में हुआ था और इसका शुरुआती नाम भी कुंभकोणम बैंक था। यह बैंक 1929 की वैश्विक महामंदी देख चुका है। इसने लगातार खुद को बहुत व्यवस्थित तरीके से बढ़ाया है। अत्याधुनिक तकनीक से लेकर बड़े-बड़े ग्राहकों तक इसने अपनी पहुंच बनाई है। बैंक का कोई प्रवर्तक नहीं है। सब कुछ प्रबंधन के हवाले है और प्रबंधन बहुत-बहुत संभलकर चलता है। ज्यादा उछल-कूद नहीं मचाता। इसलिए शेयरधारकों का भविष्य इसमें सुरक्षित है।
बैंक ने खुद को तमिलनाडु पर फोकस कर रखा है। उसकी 60 फीसदी शाखाएं तमिलनाडु में हैं और अपने 70 फीसदी कर्ज भी वह तमिलनाडु में भी वितरित करती है। उसके कर्ज का अधिकांश हिस्सा लघु व मध्यम उयोगों को जाता है। यह बैंक की सुचिंतित रणनीति का हिस्सा है। सितंबर 2011 तक बैंक की कुल 284 शाखाएं, 351 एटीएम और 475 प्वॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) थे। बैंक की योजना मार्च 2012 तक अपनी शाखाएं बढ़ाकर 325, एटीएम 650 और पीओएस 1000 कर लेने की है।
बैंक पूंजी पर्याप्तता से लेकर एनपीए के मानकों को अच्छी तरह पूरा करता है। सितंबर 2011 तक उसके द्वारा दिए गए ऋण 10,600 करोड़ रुपए और कुल जमा 14,722 करोड़ रुपए की थी। उसका एनपीए या खराब ऋण कुल वितरित ऋणों का मात्र 0.42 फीसदी थे। उसने इनके लिए 79.01 फीसदी प्रावधान कर रखा था, जबकि रिजर्व बैंक का मानक 70 फीसदी का है। बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 13.28 फीसदी का है, जो बेसल-3 के मानक से भी ज्यादा है। बैंक का इक्विटी पर औसत रिटर्न 28.61 फीसदी है। कमाल की बात यह है कि यह बैंक 100 सालों से बराबर लाभ कमा रहा है और इस दौरान हर साल लाभांश देता रहा है।
बैंक में कोई प्रवर्तक तो है नहीं। इसकी कुल इक्विटी में पब्लिक का हिस्सा 52.31 फीसदी है, जबकि इससे अलग एफआईआई ने इसके 19.69 फीसदी और डीआईआई ने 7.31 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं। 15 बड़े शेयरधारकों के पास उसके 37.25 फीसदी शेयर हैं। इसमें एलआईसी (4.91 फीसदी), एल एंड टी कैपिटल होल्डिंग्स (4.72 फीसदी), अर्गोनॉट वेंचर्स (4.48 फीसदी) और प्राइवेट इक्विटी फर्म अकासिया वेंचर्स (2.99 फीसदी) शामिल है। बैंक के कुल शेयरधारकों की संख्या 87,016 है। इसमें से 85,612 (98.4 फीसदी) एक लाख रुपए के कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास बैंक के 28.30 फीसदी शेयर हैं।