डोनाल्ड ट्रम्प के जवाबी टैरिफ पर मेक्सिको, कनाडा, यूरोपीय संघ और चीन से लेकर वियतनाम व बांग्लादेश तक पलटकर वार कर रहे हैं। लेकिन भारत सरकार चुप है। अधिकारिक सूत्रों के हवाले कहा जा रहा है कि भारत को ज्यादा चिंतित होने की ज़रूरत नहीं क्योंकि उसके प्रतिस्पर्धी देशों पर ज्यादा टैरिफ लगाया गया है जिसका फायदा हमें मिलेगा। वे इस हकीकत को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिका में होनेवाले आयात में भारत का हिस्सा 2% से भी कम है जिस पर कम या ज्यादा टैरिफ से उसको फर्क नहीं पड़ता। अमेरिका की असली नज़र भारत के विशाल घरेलू बाज़ार पर है। खासकर वो कृषि, पोल्ट्री और डेयरी क्षेत्र की कमर तोड़कर अपना माल खपाना चाहता है। प्रमुख शोध व विचार संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) का आकलन है कि कृषि क्षेत्र में मछली, मीट व श्रिम्प जैसे प्रोसेस्ड सी-फूड पर अमेरिका 27.83% का टैरिफ लगाने जा रहा है, जिससे इन उत्पादों के हमारे 2.58 अरब डॉलर के निर्यात को तगड़ी चोट लगेगी। साथ ही रत्न व आभूषण, रसायन, मेडिकल डिवाइसेज़, इलेक्ट्रिकल्स व मशीनरी का निर्यात प्रभावित होगा। फार्मास्युटिकल्स पर भी ट्रम्प की वक्री दृष्टि लगी है। फिर भी मोदी ‘महान’ इतने उदासीन व भाग रहे क्यों? अब सोमवार का व्योम…
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