भारत के शहरों में रहनेवाले साढ़े पांच करोड़ परिवारों को गांवों में रहनेवाले 14 करोड़ से ज्यादा परिवारों का होश हो या न हो, लेकिन वहां भी बीमा जैसी वित्तीय सुविधाएं पहुंच रही हैं। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी पर यकीन करें तो पिछले दस सालों में देश के 4.27 करोड़ किसानों ने फसल बीमा का लाभ उठाया है और यही नहीं, इस दौरान फसल बीमा के दावे के रूप में उन्हें कुल 15,521 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया गया है। यह अलग बात है कि सबसे ज्यादा दावा पानेवाले राज्यों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख कृषि-प्रधान राज्यों का नाम शामिल नहीं है।
कृषि मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार 24 जून 2010 तक फसल बीमा के दावे के रूप में 15,521 करोड़ रुपए अदा किए गए हैं। इसमें से सबसे ज्यादा दावे की रकम 3041 करोड़ रुपए के साथ गुजरात पहले नंबर पर है। इसके बाद 2600 करोड़ रुपए के साथ आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर, 1481 करोड़ रुपए के साथ महाराष्ट्र तीसरे नंबर, 1406 करोड़ रुपए के साथ कनार्टक चौथे नंबर पर और 1236 करोड़ रुपए के दावा भुगतान के साथ बिहार पांचवे नंबर पर है। चालू वित्त वर्ष 2010-11 के बजट में फसल बीमा के लिए 950 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
गौरतलब है कि देश में राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) के अंतर्गत फसल बीमा का काम 1999-2000 की रबी फसल से शुरू किया गया। तब से लेकर साल 2009 की खरीफ फसल तक कुल 4.27 किसान इसका फायदा उठा चुके हैं। इस योजना से लाभ लेनेवाले किसानों की संख्या के मामले में महाराष्ट्र 85 लाख किसानों के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद राजस्थान (51 लाख किसान), कर्नाटक (43 लाख किसान), आंध्र प्रदेश (39 लाख किसान) और गुजरात व मध्य प्रदेश (36-36 लाख किसान) का नंबर आता है।
राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना पर अमल का काम एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (एआईसी) देखती है। इस कंपनी की अधिकृत पूंजी 1500 करोड़ रुपए और चुकता शेयर पूंजी 200 करोड़ रुपए है। इसमें 35 फीसदी हिस्सेदारी साधारण बीमा निगम (जीआईसी) की, 35 फीसदी हिस्सेदारी जीआईसी की चार सहायक कंपनियों की और बाकी 30 फीसदी हिस्सेदारी राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की है। योजना का घोषित मकसद राष्ट्रीय आपदा, कीड़े-मकोड़ों और रोगों से फसल को हुए नुकसान से किसानों को बचाना है। इसमें अधिया-बटाई पर खेती करनेवाले किसानों को भी लाभ दिया जाता है।
योजना में अनाज, दलहन और तिलहन जैसी फसलों के अलावा व्यावसायिक व हार्टीकल्चर फसलें भी शामिल हैं। बीमा के लिए प्रीमियम की रकम फसल के अनुमानित मूल्य का 1.5 से 3.5 फीसदी होती है। लघु व सीमांत (एक हेक्टेयर या ढाई एकड़ जोतवाले) किसानों को सरकार की तरफ से प्रीमियम में 10 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। बैंकों से कर्ज लेनेवाले किसानों के लिए फसल बीमा लेना अनिवार्य है, जबकि दूसरे किसानों के लिए यह उनकी मर्जी पर निर्भर करता है।
आखिर में बता दें कि 2001 की जनगणना के अनुसार देश में कुल घरों (हाउसहोल्ड) की संख्या 19,19,63,935 है। इसमें से ग्रामीण घरों की संख्या 13,82,71,559 है, जबकि शहरी घरों की संख्या 5,36,92,376 है। इसके बाद के सालों में इसमें लगभग 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।