भगीरथ भाग रहे हैं और विष्णु भी

भला आप सोच सकते हैं कि बाजार कैसे चलता है?  कल ग्रीस के संभावित डिफॉल्ट की खबर को हर तरफ अफरातफरी फैलाने में इस्तेमाल किया गया और पूरा बाजार मंदी की गिरफ्त में आ गया। अब, ऐसी चीजें तो होती रहती हैं और आगे भी होती रहेंगी। लेकिन अफरातफरी के माहौल में भी हमने अपना विश्वास बरकरार ही नहीं रखा, बल्कि बाजार में खरीद की कॉल दी। और, बाजार ने भी आज हमारी कॉल का मान रखा।

बाजार उठ रहा है। विश्व स्तर के सभी प्रमुख खिलाड़ी अब भारत को लेकर तेजी की धारणा अपना रहे हैं। हालांकि आप मुझे तभी पैदायशी तेजड़िया करार कर चुके हैं, जब सेंसेक्स 8000 अंक पर था। लेकिन उस वक्त आप वो बात देख ही नहीं सके जो मैं देख रहा था। मैंने साफ-साफ कहा था कि हम नई ऊंचाई पार करेंगे। मैं आज भी आपसे कहना चाहता हूं कि हम नई ऊंचाई को पार करने से ज्यादा दूर नहीं हैं। यह यात्रा अधूरी रहेगी अगर मेरे फाजिल दोस्त चार्टों पर बिक्री की कॉल नहीं देते और नही देखते कि बाजार इस दौरान कैसे खुद को करेक्ट करता है। मेरी धारणा को बेचना कठिन है क्योंकि यह तकलीफदेह है। चंद गर्लफ्रेंडों ने मुझ पर पूरा भरोसा रखा और बराबर मेरे साथ देती रहीं। मैं आभार व्यक्त करते हुए उनसे कहना चाहता हूं कि आपके साथ ने मुझे और मजबूत बना दिया है।

करेक्शन तो बाजार का हिस्सा है। हमें इसे स्वीकार करने की आदत डाल लेनी चाहिए और इसका इस्तेमाल अपने फायदे में करना चाहिए। बाजार तब तक दो कदम पीछे, तीन कदम आगे चलेगा, जब तक वह नए ऑरबिट या चक्र में नहीं पहुंच जाता। इसलिए मेरा मानना है कि 25 फीसदी बढ़त के साथ ही तेजी का यह दौर अपनी मंजिल पर पहुंचेगा।

अब तो फ्रैंकलिन टेम्पेटन फंड भी चीन से ज्यादा भारत के शेयरों को तरजीह दे रहा है क्योंकि उसके मुताबिक इस दक्षिण एशियाई देश में बेहतर कॉरपोरेट गवर्नेंस और स्वस्थ बैंकिंग प्रणाली जैसे सकारात्मक पहलू हैं। ऐसा मैंने ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में पढ़ा। वैसे, मैं तो 2008 से इस बात की वकालत कर रहा हूं।

अब तक हम मेटल सेक्टर को लेकर काफी उत्साहित रहे हैं और हमने इसके नतीजे भी देखे हैं। केआईसी मेटलिक्स जैसे तकरीबन सभी मेटल स्टॉक तेजी की लहर पर सवार हैं और यह लहर अभी उतरी नहीं है। टाटा स्टील पर नजर रखें। जहां टाटा स्टील में तेजी का दौर खत्म होगा, वो कमोडिटी चक्र का सर्वोच्च स्तर होगा। मुझे पूरा यकीन है कि टाटा स्टील अगले 12 महीनों में 1200 रुपए तक पहुंचने जा रहा है। हालांकि इस दरमियान यह 20 फीसदी के आसपास ऊपर-नीचे हो सकता है।

अब ऑटो एंसिलियरी सेक्टर नया उभरता हुआ क्षेत्र है। मैने 2008 में कहा था कि यह अगले दो सालों में सबसे ज्यादा बढ़त वाले सेक्टर में शुमार होगा। मारुति विस्तार कर रही है। महिंदा का कहना है कि वह कंपोनेंट की कमी के चलते उत्पादन पूरा नहीं कर पा रही है। ऐसी बातें साफ इशारा करती हैं कि ऑटो एंसिलियरी सेक्टर अब अपने टॉप गियर में जा रहा है।

एनआरबी बियरिंग, एसएस डंकन, एसएनएल बियरिंग, शिवालिक बाईमेटल और जमना ऑटो की शिनाख्त सीएनआई ने की है और ये सभी बढ़ रहे हैं। शिवालिक खास किस्म की ऑटो सप्लायर है जिसका ओपीएम (परिचालन लाभ मार्जिन) औरों से अधिक रहेगा और फिर लक्ष्मी नारायण मित्तल से इसका संबंध है। इसलिए मैं तो निवेशकों से यही कहूंगा कि रातोंरात उड़नछू हो जानेवाली कंपनियों के शेयरों से तौबा करके वे इसे जरूर अपने पोर्टफोलियो में शामिल करें। एसएस डंकन का अलग आधार है। जमना ऑटो मारुति की इकलौती सप्लायर है। प्रेसिजन बियरिंग की देश में भारी कमी है और एनआरबी इस बाजार की लीडर है। एसएनएल खुद एनआरबी की सब्सिडियरी है और इस क्षेत्र की सबसे युवा कंपनी है।

एक दूसरा उभरता हुआ या कहें तो उगता हुआ उद्योग है केमिकल्स का। भगीरथ और विष्णु दोनों ही बाजार की रफ्तार से तेज भाग रहे हैं।

साल 2010 के लिए मेरा सबसे बड़ा दांव रीयल्टी क्षेत्र है। मेरा आकलन है कि छिपे हुए मूल्य के बाहर आने से अगले दो सालों में एचबी एस्टेट, नेटवर्क, स्टील स्ट्रिप्स इंफ्रा, मुकट पाइप, धामपुर शुगर स्पेशियलिटी सुपर-डुपर साबित होंगे। इनके फंडामेंटल को देखें तो हाल-फिलहाल ये अच्छा दांव नहीं नजर आते। लेकिन आस्तियों के सिद्धांत के आधार पर लगता है कि ये स्टॉक छुपे रुस्तम साबित होंगे।

आप डर को जिस दिन जीत लेते हैं, उसी दिन से आपकी बुद्धि व विवेक का जागरण शुरू हो जाता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है लेकिन फालतू के वैधानिक लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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