चौकस सुरक्षा देगी ज़ाइकॉम

ज़ाइकॉम इलेक्ट्रॉनिक सिक्यूरिटी सिस्टम्स के नाम और ब्रांड से शायद आप परिचित ही होंगे। घरों से लेकर दफ्तरों और सार्वजनिक जगहों पर सीसीटीवी व दूसरे जो तमाम इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा सिस्टम आप देखते हैं, बहुत मुमकिन है कि वे ज़ाइकॉम के हों। यह इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा उपकरण मुहैया करानेवाली देश की सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी पहले चीन से सारा माल आयात करके भारत में बेचती थी। लेकिन इस साल मई से उसने हिमाचल प्रदेश के परवानू में अपनी फैक्टरी डाल दी है जिस पर उसे कई सालों तक टैक्स रियायत मिलती रहेगी। यहां फायर अलार्म, सीसीटीवी निगरानी, एक्सेस कंट्रोल, फिंगर प्रिंट लॉक, वीडियो डोर फोन, वायरलेस अलार्म सिस्टम जैसे सुरक्षा उपकरण बनाए जा रहे हैं और संयंत्र की सालाना क्षमता तीन लाख है।

बड़ी विचित्र बात है कि 12 मई 2010 को कंपनी की यह फैक्टरी चालू हुई। दो दिन बाद 14 मई को उसने घोषित किया कि अपने रिटेल बिजनेस और दुबई के संयुक्त उद्यम के अलावा इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा उपकरणों का सारा कारोबार जर्मन कंपनी स्नाइडर इलेक्ट्रिक को 225 करोड़ रुपए में बेचने की डील पक्की हो गई है। लेकिन 21 मई 2010 को इसका शेयर 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 76 रुपए पर चला गया। हालांकि इससे पहले 5 मार्च 2010 को डील की घोषणा के बाद यह 134 रुपए पर पहुंच गया था जो अब तक उसका उच्चतम स्तर है।

जर्मन कंपनी इसे खरीद चुकी है। हो सकता है कि कल को इसका नाम भी बदल दिया जाए और डीलिस्ट भी करा दिया जाए। मतलब इसमें अच्छी-खासी हरकत अभी चलती रहेगी। इसलिए बराबर सतर्क रहने की जरूरत है। कंपनी की 12.7 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 18.35 फीसदी है। इसमें से 16.96 फीसदी भारतीय प्रवर्तकों की और 1.39 फीसदी विदेशी प्रवर्तकों की है। गैर-संस्थागत निवेशकों (एचएनआई और रिटेल) के पास कंपनी के 66.80 फीसदी शेयर हैं। कंपनी का शेयर 10 रुपए अंकित मूल्य का है और यह बीएसई (कोड – 531404) और एनएसई (कोड – ZICOM) में लिस्टेड है।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी ने 244.77 करोड़ की बिक्री पर मात्र 6.23 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। इसमें भी मार्च 2010 की तिमाही में उसे 65.80 करोड़ की बिक्री पर 2.30 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। लेकिन चालू वित्त वर्ष 2010-11 में जून की पहली तिमाही में उसे 12.40 करोड़ की बिक्री पर 90.02 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है। बिक्री कम, लाभ इतना ज्यादा!! यह कमाल इस तरह हुआ कि कंपनी को इसी तिमाही में धंधे की बिक्री से जर्मन कंपनी स्नाइडर से 96.53 करोड़ रुपए मिले हैं। यह बगैर किसी खर्च के उसकी असामान्य आय है। नहीं तो सामान्य गतिविधियों पर उसे 6.51 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा है।

इस असामान्य आय का कमाल है कि जून 2010 की तिमाही में उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 70.88 रुपए हो गया है और पी/अनुपात महज 1.22 आता है। लेकिन ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का उसका ईपीएस ऋणात्मक में 2.03 रुपए है। हालांकि कंपनी की प्रति शेयर बुक वैल्यू 83.29 रुपए है। कंपनी का शेयर स्नाइडर की डील के बावजूद अब तक नीचे ही नीचे रहा है। कल बुधवार को यह थोड़ी गिरावट के साथ 90.65 रुपए पर बंद हुआ है। बहुत स्पष्ट सी बात है कि कंपनी जिस धंधे में है उसका घरेलू बाजार 3000 करोड़ रुपए का है। स्नाइडर इलेक्ट्रिक इस धंधे को और निखारेगी। इधर कंपनी अपनी ब्रांडिंग और प्रमोशन पर 30 करोड़ रुपए अलग से खर्च कर रही है। इसलिए 10 रुपए का शेयर 90 रुपए में मिल रहा है तो यह दूरगामी लिहाज से सस्ता सौदा है। हां, एक मुश्किल यही है कि इस शेयर में सौदे बहुत ज्यादा नहीं होते।

2 Comments

  1. SIR,
    HCC ME YADI AUR GIRAWAT AATI HAI, TO KYA AUR PURCHASE KARANA CHAHIYE.

  2. yes yes yes.

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