राइट-ऑफ से खाता साफ तो बढ़ा लाभ

हमारे बैंकों ने अप्रैल 2014 से मार्च 2023 तक के नौ सालों में सरकार की सहमति से 14.56 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के डूबत ऋण या एनपीए राइट-ऑफ कर दिए हैं। यह जानकारी खुद केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में दो महीने पहले 8 अगस्त को दी है। जो 14,56,226 करोड़ रुपए के बैंक ऋण राइट-ऑफ किए गए हैं, उसमें से 7,40,968 करोड़ रुपए यानी 50.88% ऋण बड़ी कंपनियों के हैं। मालूम हो कि राइट-ऑफ का तकनीकी मतलब जो भी हो, उसका व्यावहारिक मतलब एक तरह की माफी ही होता है। इन नौ सालों में बैंकों ने राइट-ऑफ किए गए ऋणों में से तमाम तरीके अपनाने के बावजूद 2,04,668 करोड़ रुपए यानी 14.05% ही रिकवर किए हैं। इस सारी कसरत का सबसे बड़ा फायदा सरकारी बैकों को हुआ। उनका सकल एनपीए 31 मार्च 2018 को 8.96 लाख करोड़ रुपए हुआ करता था। लेकिन राइट-ऑफ करने से यह 31 मार्च 2023 तक घटकर 4.28 लाख करोड़ रुपए पर आ गया। इस तरह एनपीए के घट जाने से बैंकों को कम प्रावधान करना पड़ा तो उनका शुद्ध लाभ तिमाही-दर-तिमाही बढ़ता चला गया। अब मंगलवार की दृष्टि…

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