बगैर पारदर्शिता निवेश अंधेरे में छलांग!

शेयर बाज़ार जितना ही पारदर्शी, शेयरों के भावों की खोज उतनी ही सटीक। बाज़ार को पारदर्शी बनाना सरकार और पूंजी बाज़ार की नियामक संस्था, सेबी का दायित्व है, हमारा नहीं। हम जैसे आम निवेशक यहां आंदोलन करने नहीं आए। हमें तो कायदे के निवेश से काम भर का मुनाफा कमाकर संकरी गली से निकल लेना है। फिर भी सवाल तो उठता ही है कि तीन साल में अडाणी ग्रीन का शेयर 5000% से ज्यादा बढ़कर 55 से 3000, अडाणी ट्रांसमिशन दो साल में 1500% उछलकर 250 से 4000, अडाणी एंटरप्राइसेज़ ढाई साल में 2200% कूदकर 175 से 4000 और अडाणी टोटल गैस ढाई साल में 3800% छलांग लगाकर 100 से 3900 रुपए तक कैसे पहुंच गया? सेबी अगर चाहती है कि बाज़ार में पारदर्शिता और निवेशकों में वित्तीय साक्षरता बढ़े तो गहरी छानबीन करके उसे इसका साफ जवाब देना चाहिए। अब तथास्तु में आज की कंपनी…

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