जब बाजार के प्रमुख खिलाड़ी लोकल नहीं, ग्लोबल हों तो देश की जमीन से उठी अच्छी लहरों को बाहर के झोंके उड़ा ले जाते हैं। ब्याज दरों में अप्रत्याशित कटौती से बाजार ऊपर-ऊपर चल रहा था। अमेरिका से भी बाजार के बढ़ने का आधार पीछे था। दस बजे तक निफ्टी 5342 तक चढ़ चुका था। लेकिन सूरज के सिर पर पहुंचते ही यूरोपीय बाजारों के कमजोरी के साथ खुलने के समाचार आ गए तो भारतीय बाजार भी गिरने लगा। कारोबार के आखिरी आधे घंटे में निफ्टी 5393.45 के निचले स्तर पर पहुंच गया और बंद भी इसी के आसपास हुआ, ठीक 5300 अंक पर।
डेरिविटिव सौदों के सेटलमेंट का दिन करीब आ रहा है। 26 अप्रैल को एक्सपायरी का दिन है। बताते हैं कि रोलओवर का सिलसिला परसों, 20 अप्रैल से शुरू हो जाएगा। आज निफ्टी के अप्रैल फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5315 रहा। कैश सेगमेंट से 15 अंक के प्रीमियम पर। जानकारों के मुताबिक बाजार में बढ़त का रुझान बरकरार है। उनका कहना है कि बाजार कल अगर 5310 के ऊपर खुलता है तो वह 5370 तक जा सकता है। लेकिन यह सब बस गणना है। असल फैसला कैश बाजार नहीं, बल्कि डेरिवेटिव सौदों पर लगे दांव से होता है। वैसे, आज कैश बाजार में एफआईआई की शुद्ध खरीद 221.63 करोड़ रुपए और डीआईआई की शुद्ध खरीद 37.88 करोड़ रुपए की रही।
बाजार में बेसिर-पैर की अफवाहें भी अब आम हो चली हैं। जैसे, आज अफवाह उड़ी कि उत्तम गल्वा स्टील्स अपनी ज़मीन बेच रही है। इसके बाद तो इसका शेयर सीधे 82.05 रुपए के ऊपरी सर्किट तक जा पहुंचा। इसका बंद स्तर भी 77 रुपए रहा है जो कल से 12.57 फीसदी ज्यादा है। सच्चाई यह है कि उत्तम गल्वा अगर ज़मीन बेच देगी तो उसे अपना संयंत्र ही बंद करना होगा। लेकिन उड़ती ‘खबरों’ पर यकीन करनेवाले ट्रेडरों को यह सच्चाई नहीं नजर आती। बीएसई में इसके 6,44,482 शेयरों की ट्रेडिंग हुई, जिसमें से 10.23 फीसदी ही डिलीवरी के लिए थे। वहीं, एनएसई में आज ट्रेड हुए 16,93,203 शेयरों में से 9.87 फीसदी ही डिलीवरी के लिए थे।
इस बीच विदेशी ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने सेंसेक्स में अपना लक्ष्य 20,000 से घटाकर 19,000 कर दिया है। इस तरह लक्ष्य को घटाने का कारण उससे भारत के चालू खाते और राजकोषीय घाटे का बढ़ना बताया है। हालांकि उसका कहना है कि सेंसेक्स इस वक्त चालू वित्त वर्ष 2012-13 में लाभार्जन के अग्रिम अनुमान के हिसाब से 13.5 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है जो पिछले दस सालों के औसत से 8 फीसदी डिस्काउंट को दर्शाता है।
सीएलएसए की रिपोर्ट कहती है, “हालांकि पिछले कुछ हफ्तों के प्रतिकूल आर्थिक विकासक्रम को देखते हुए तेजी के प्रति हमारी धारणा थोड़ा मद्धिम पड़ी है। लेकिन अब भी अगले एक साल में भारतीय बाजार के 10-12 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है।” इससे पहले गोल्डमैन सैक्श भी ‘अपेक्षाकृत आकर्षक’ मूल्यांकन के आधार पर भारतीय बाजार को ‘अंडरवेट’ से उठाकर ‘मार्केटवेट’ की श्रेणी में ला चुका है।
इस बीच खबर है कि घड़ी डिटरजेंट से हिंदुस्तान यूनिलीवर और प्रॉक्टर एंड गैम्बल जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को टक्कर देनेवाली कानपुर की कंपनी रोहित सर्फैक्टैंट्स बाजार के ज्यादा मार्जिन वाले सेगमेंट में अपना नया ब्रांड यूनी वॉश लेकर उतरनेवाली है। अगले दो-तीन महीनों में यह उत्पाद बाजार में आ जाएगा। इसके निश्चित रूप से हिंदुस्तान लीवर का दखल थोड़ा घटेगा। शायद इसी डर को दर्शाते हुए आज हिंदुस्तान यूनिलीवर का शेयर गिरकर नीचे में 420.35 रुपए तक चला गया। हालांकि बंद हुआ 0.21 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 423 रुपए पर। आपको पता ही होगा कि रोहित सर्फैक्टैंट्स आईपीओ लाने की तैयारी में जुटी है।
बाकी ऑटो से लेकर कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों के शेयरों में ब्याज दर कटौती की गरमी कायम है। वैसे, अनिश्चितता और वोलैटिलिटी के इस दौर में आम निवेशकों के लिए फार्मा जैसे सुरक्षित सेक्टर ही भले नजर आ रहे हैं। उनकी तरफ निवेशक खिंचे भी चले आ रहे हैं। ग्लेनमार्क फार्मा और नैटको फार्मा का आकर्षण बरकरार है। सन फार्मा के बारे में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट का माकूल फैसला आया है तो उसका शेयर आज 2.11 फीसदी बढ़कर 596.55 रुपए पर पहुंच गया। अंत में बस इतना कि…
बीते कल की छायाओं के पीछे भागनेवाले लोग कभी आनेवाले कल की सवारी नहीं कर पाते। इसलिए कामयाबी व खुशी के लिए पीछे नहीं, हमेशा आगे देखना चाहिए।