निवेश की दुनिया भांति-भांति के निवेशकों से भरी पड़ी है। निवेशक भी एक तरह के ट्रेडर हैं और ट्रेडर भी एक तरह के निवेशक। केवल साल-महीने और दिनों का ही तो फर्क है। ऊपर से आज समूची दुनिया के शेयर बाज़ार एक ही डोर में बंध चुके हैं। अमेरिका से निकला धन, वहां के शेयर बाज़ार से उठी लहर यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया तक को अपने लपेटे में ले लेती है। अमेरिकी शेयर बाज़ार की गिरावट या तेज़ी जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और भारत तक को ब़ड़े आराम से अपने रंग में डुबा ले जाती है। आखिर ग्लोबल डोर में बंधे आज के दौर में बाज़ार कहां ठौर लेगा, कुछ नहीं कहा जा सकता। अमेरिका की जैकसन होल घाटी में केंद्रीय बैंकरों का हर साल होनेवाला सिम्पोजियम दुनिया के समूचे वित्तीय जगत को हिलाकर रख देता है। अब सोमवार का व्योम…
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