शेयर बाज़ार में सबसे ज्यादा उछल-कूद और धमाचौकड़ी मचाते हैं इंट्रा-डे ट्रेडर। ऐसे ट्रेडर जो खरीद या बिक्री (लॉन्ग या शॉर्ट) की पोजिशन अगले दिन तक नहीं ले जाते। इन्हीं की सक्रियता से बनता है दिन का एडवांस-डिक्लाइन अनुपात, किसी दिन कितने शेयर बढ़े और कितने घटे, इसका अनुपात। अगर यह एक से ज्यादा है तो बाज़ार में खरीद या तेजड़ियों का दम ज्यादा है और एक से कम है तो बिकवाली या मंदडियों का ज़ोर अधिक है। इसका आंकड़ा एऩएसई/बीएसई की वेबसाइट पर मिल जाता है। यह जानकारी व्यवस्थित रखनेवाले बाकायदा चार्ट पर इनका ग्राफ भी बनाते हैं। मोटेतौर पर यह अनुपात बताता है कि अगर कम से कम लगातार तीन ट्रेडिंग सत्रों तक यह अनुपात एक से ज्यादा है तो इसे बाज़ार में तेज़ी का आगाज़ माना जा सकता है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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