जब उतर जाता है उन्माद और पागलपन

शेयर बाज़ार में सक्रिय सभी लोगों का सम्मिलित मनोविज्ञान शेयरों के भाव और शीर्ष सूचकांकों में झलकता है। इन लोगों में देशी-विदेशी संस्थागत निवेशकों के फंड मैनेजर, हाई नेटवर्थ व्यक्ति (एचएनआई), प्रोफेशनल ट्रेडर और सुलझे हुए धनवान निवेशक तक शामिल हैं। इन सबका आत्मविश्वास, आशावाद व सकारात्मक नज़रिया जब हद से पार चला जाता है तो बाज़ार में अतिशय लालच और निश्चिंतता का सुरूर चढ़ जाता है। सकारात्मक तत्व नकारात्मक हालात पैदा कर देते हैं। इतिहास गवाह है कि जब सेंसेक्स और निफ्टी 25 से ज्यादा पी/ई पर ट्रेड होने लगते हैं तो अधिकांश ट्रेडरों पर बाज़ार की जलती लौ पर पतंगों की तरह जल-मरने का उन्माद छा जाता है। रिटेल ट्रेडर व निवेशक तो चढ़े हुए शेयरों के पीछे लालच में सब कुछ गंवा देने को आतुर हो जाते हैं। लेकिन यह उन्माद और पागलपन कुछ महीनों बाद ठंडा हो जाता है। शेयर बाज़ार शिखर से उतरकर ज़मीन पर आ जाता है। मगर, साथ में तबाही का मंजर भी ले आता है। अब बुधवार की बुद्धि…

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