सरकार गिरते रुपए की धार को कुंद करने की हरचंद कोशिश कर रही है। कहा जा रहा है कि डॉलर के मुकाबले भले ही रुपया कमज़ोर हो रहा हो, लेकिन उसकी वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (रीयल अफेक्टिव एक्सचेंज रेट या REER) अब तक के सर्वोच्च स्तर पर है। रीर केवल डॉलर नहीं, बल्कि दुनिया के उन 40 देशों की मुद्राओं के सापेक्ष रुपए की विनिमय दरों का भारित औसत है जिनसे हमारा लगभग 88% सालाना आयात-निर्यात होता है। रुपए की यह विनिमय दर एक तरह का सूचकांक है जिसमें भारत के व्यापार साझीदार देशों की मुद्रास्फीति भी समायोजित की जाती है। लेकिन रीर से रुपए में मची मार और रार को छिपाना मुश्किल है। स्विटज़रलैड के यूबीएस ग्रुप ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में विदेशी निवेशकों को रुपए को शॉर्ट करने की सलाह दी है। उसका कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था संरचनात्मक सुस्ती के दुष्चक्र में फंसती दिख रही है। फिलहाल तो नए वित्त वर्ष 2025-26 के बजट की बेला आ गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट कल 1 फरवरी, शनिवार को सुबह 11 बजे पेश करने जा रही हैं। इसमें राजकोषीय घाटे को संभालने का दंभ और 2047 तक भारत को विकसित देश बना देने का दावा फिर किया जाएगा। बाकी क्या होगा? ऐसे बहुतेरे सवालों पर रोते रुपए और बिलखती अर्थव्यवस्था को जवाब का इंतज़ार है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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