अपने यहां विचित्र स्थिति है। महीने भर पहले रिजर्व बैंक ने दस साल के सरकारी बांडों की नई सीरीज़ जारी की है, जिस पर सालाना ब्याज की दर 6.10% है। इन बांडों को ब्याज दरों का बेंचमार्क माना जाता है। इससे पहले की सीरीज़ में इन बांडों पर सालाना 5.85% ब्याज दिया जाता था। जाहिर है कि जब नए बांड पर 0.25% ज्यादा ब्याज मिलेगा तो पुराने बांडों की यील्ड भी बढ़कर उसके समतुल्य हो जानी चाहिए। नतीजतन पहले के बांडों का दाम घट जाएंगे। बैंक एफडी पर 5% ब्याज दे रहे हैं, रेपो दर 4% है, जबकि रिटेल मुद्रास्फीति 6.3% चल रही है। प्रभावी ब्याज दरों का जबरदस्त घालमेल! अब बुधवार की बुद्धि…
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