शोर मजबूती का, सच अर्थव्यवस्था का!

भारतीय रिजर्व बैंक ने डॉलर के मुकाबले रुपए को बचाने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का 11% हिस्सा बाजार में झोंक दिया। फिर भी गवर्नर दास कहते हैं कि अर्थव्यवस्था के मूलभूत पहलुओं के मजबूत होने के कारण रुपया कम गिरा है और उभरते देशों ही नहीं, यूरो, जापानी येन व ब्रिटिश पाउंड जैसे विकसित देशों की मुद्राएं डॉलर के मुकाबले ज्यादा गिरी हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का शोर मचा रही हैं। लेकिन सवाल उठता है कि जब हमारा चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.2% हो चुका है और डर है कि आगे 3-4% तक पहुंच सकता है, हम अपनी ज़रूरतें घरेलू नहीं, विदेशी बचत से पूरा कर रहे हैं, तब अर्थव्यवस्था मजबूत कैसे? फिर क्या विदेशी मुद्रा खजाने का मकसद मुद्रा को बचाना ही है? अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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