खज़ाना रिजर्व बैंक का, मौज सरकार की

बिमल जालान समिति की रिपोर्ट अगस्त 2019 में स्वीकार की गई। तब रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट 30 जून, 2019 को साल भर पहले के ₹36,17,594 करोड़ से 13.42% बढ़कर ₹41,02,905 करोड़ हो गई थी। पहले के नियम के मुताबिक इसका 6.8% हिस्सा कंटेन्जेंसी फंड या सीआरबी के रूप में रखा गया था। जालान समिति ने इसे 5.5% से 6.5% रखने का सुझाव दिया था। लेकिन शक्तिदास के गवर्नर बन जाने पर रिजर्व बैंक ने इसे 5.5% ही रखने का फैसला किया। इस तरह रिजर्व बैंक के रिस्क प्रबंधन कोष से ₹52,637 करोड़ निकाल लिए गए। जालान समिति ने यह भी कहा था कि रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी (सीआरबी + रिवैल्यूएशन रिजर्व जो मूलतः करेंसी व गोल्ड रिवैल्यूएशन खाता या सीजीआरए होता है) बैलेंस शीट के 20% से 24.5% की रेंज में होनी चाहिए। तब यह 23.3% थी। इसलिए यहां से भी ₹1,23,414 करोड़ निकाल लिए गए। इस तरह कुल ₹1,76,051 करोड़ रिजर्व बैंक की आकस्मिक निधि से केंद्र सरकार के खाते में डाल दिए गए। उसके बाद खुलकर खेलने के लिए रेंज का दायरा बढ़ाकर बैलेंस शीट का 4.5% से 7.5% कर दिया गया। कमाल की बात यह है कि इस बार 2024-25 में रेंज को 7.5% के ऊपरी छोर पर रखा गया है। फिर भी रिजर्व बैंक के पास सरकार को देने के लिए ₹2,68,590.07 इफरात बच गए। यह होनी-अनहोनी कैसे और कब तक चलती रहेगी? अब शुक्रवार का अभ्यास…

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