जो ठहरा वो मरा। जो चलता रहा, वही ज़िंदा है। सदियों पहले बुद्ध ने जीवन में निरतंर परिवर्तन की कुछ ऐसी ही बात कही थी। जो व्यक्ति या संस्थान समय के हिसाब से बदल नहीं पाता, वो खत्म हो जाता है। लेकिन ‘अर्थकाम’ ने तो न मिटने की कसम खा रखी है तो बनने से लेकर अब तक कई तरह के उतार-चढ़ाव देखें, झंझावात देखे। मगर, हर बार वित्तीय साक्षरता और आर्थिक सबलता के अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए धूल झाड़कर उठ खड़ा हुआ।
‘अर्थकाम’ की परम इच्छा है कि देश की अर्थव्यवस्था ऐसी हो जाए कि हर हाथ को काम मिल जाए। इस लक्ष्य तक पहुंचने में योगदान देना उसका प्रमुख ध्येय है। अपने नाम में ‘काम’ को जोड़ने का मकसद भी यही है। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक पढ़े-लिखे समझदार लोगों के पास ‘अर्थ’ कहां से आए? इस सवाल के समाधान की तलाश में हमें वित्तीय बाज़ार, खासकर शेयर बाज़ार की तरफ मुड़ना पड़ा। मुश्किल यह है भारतीय वित्तीय बाज़ार या खासतौर पर शेयर बाज़ार में लूट व फ्रॉड का जैसा बोलबाला है, उसमें कोई भी आंख मूंदकर किसी को इसमें उतरने को नहीं कह सकता। फिर भी, हमारे न चाहने के बावजूद दसियों लाख लोग यहां हर दिन अपनी जेब जलाते हैं। इनमें हिंदी या भारतीय भाषाओं के ही नहीं, अंग्रेज़ी भाषी समाज के लोग भी शामिल हैं।
इनको कैसे सुरक्षित बचाकर सही रास्ते पर लाया जाए, इसी मकसद से हमने शेयर बाज़ार से जुड़ी दो सेवाएं शुरू की हैं। शुरू में केवल दीर्घकालिक निवेश की सेवा 2010 से 2013 तक मुफ्त में चलाई। फिर पता चला कि आम निवेशकों में लंबे निवेश नहीं, बल्कि ट्रेडिंग की मानसिकता हावी है तो हमने ट्रेडिंग की सेवा शुरू कर दी। हां, इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग, मोमेंटम या पोजिशनल ट्रेड की, जिसकी मीयाद कुछ दिन से लेकर कुछ महीने तक की हो सकती है।
ध्यान दें कि हम किसी को ट्रेडिंग के लिए उकसाते नहीं, बल्कि जो पहले से ट्रेडिंग कर रहे हैं, उनकी मदद करते हैं ताकि वे भावुकता भरी मूर्खता से निकलकर समझदार बन सकें। हम कोई गुरु नहीं, न ही हकीकत में टिप्स देते हैं, बल्कि पार्टनर की भूमिका निभाते हैं। निवेश या ट्रेडिंग में बिना रिसर्च के काम नहीं चलता। तो, आपके हिस्से की थोड़ी-सी रिसर्च ईमानदारी से करके पेश कर देते हैं ताकि आपका काम आसान हो जाए। आज हम दावा कर सकते हैं कि अर्थकाम देश की सबसे बड़ी भाषा में निवेश व ट्रेडिंग की इकलौती ईमानदार व समझदार सेवा पेश कर रहा है। हमें इस बात की भी खुशी है कि हमारे पाठकों में गुजराती व मराठी भाषी लोगों की भी बड़ी संख्या है।
आप जानते ही हैं कि हम इस साइट के लिए किसी कॉरपोरेट विज्ञापन या मदद का सहारा नहीं लेते। हमारा मानना है कि हमारी सेवा में दम होगा कि सब्सक्राइबर खुद स्वेच्छा से उसका दाम अदा करेंगे और इस प्रयास को किसी मदद की ज़रूरत नहीं होगी। इसी सोच के तहत हमने जुलाई 2013 से निवेश व ट्रेडिंग की सेवा को प्रीमियम श्रेणी में डालकर उसे पेड-सेवा बना दिया। इसे पढ़ने के लिए सब्सक्राइबर को हमें निश्चित रकम का भुगतान करना पड़ता है जो दूसरों की तुलना में बहुत ही मामूली है। लेकिन इस सेवा को सब्सक्राइब करने और भुगतान करने में कुछ दिक्कतों की शिकायत हमें पाठकों की तरफ से मिली तो हम उसे सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
सेवाओं का अलग-अलग कॉलम: अभी तक ट्रेडिंग की सेवा – चुटकी भर टिप्स और लंबे निवेश की सेवा – तथास्तु एक ही कॉलम में आती रही है। सोमवार से शुक्रवार चुटकी भर टिप्स और रविवार को तथास्तु। इससे केवल तथास्तु सेवा लेनेवालों को दिक्कत होती थी। इसलिए अब हम इन दोनों सेवाओं का अलग-अलग कॉलम बना दे रहे हैं। साथ ही उनका नाम भी काम के अनुरूप कर रहे हैं।
ट्रेडिंग में बुद्ध का साथ: चुटकी भर टिप्स का नाम अब ‘ट्रेडिंग – बुद्ध’ होगा। इसके पीछे का तर्क है कि वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में कामयाब होने के लिए बुद्ध जैसा तटस्थ दृष्टिकोण अपनाना ज़रूरी है। यह बात हम बार-बार अपने कॉलम में लिखते भी रहे हैं कि अगर आप बुद्ध नहीं बन सकते तो ट्रेडिंग में कामयाब नहीं हो सकते। फिर ध्यान दें कि हम ट्रेडिंग में स्टॉक्स को चुनने में आपकी मदद भर करते हैं। रोजाना ट्रेड होनेवाली 1500 कंपनियों में से 200 ज्यादा सक्रिय कंपनियों को भी चुन लें तो उसमें से हर दिन कोई स्टॉक चुनना मुश्किल होता है। इसमें असली मेहनत व अनुशासन आपका ही होगा। हम बस इसमें मदद करेंगे।
दिशाएं बोलीं तथास्तु: इसके अलावा अगला बदलाव यह है कि तथास्तु सेवा का नाम वही है लेकिन उसके कॉलम का नाम अब ‘निवेश – तथास्तु’ होगा। आप इस सेवा की खूबी से वाकिफ ही हैं। साल में जितने भी रविवार पड़ें, उतने दिन ऐसी अच्छी कंपनियां हम छांटकर आपके लिए लाते हैं जिनके बिजनेस में काफी संभावना होती है और जिनके शेयरों में निवेश दो-तीन से दस साल तक में आपको बैंक एफडी से ज्यादा सालाना रिटर्न दे सकता है।
इन प्रीमियम सेवाओं के भुगतान में भी सहूलियत लाने की कोशिश की जा रही है। ट्रेडिंग की बुनियादी बातों पर हम फाइनेंस की पाठशाला के तहत अलग से लेखों की श्रृंखला शुरू कर रहे हैं। आगे फाइनेंस व अर्थव्यवस्था की दूसरी तमाम बारीकियों को भी हम ‘पाठशाला’ में सुलझाते रहेंगे। भविष्य में हम बीमा, म्यूचुअल फंड और टैक्स समेत समग्र फाइनेंशियल प्लानिंग पर भी विशेषज्ञों को आपके साथ जोड़ने का अभियान चलाएंगे।
यकीन है कि अब तक की तरह आगे भी आप लोगों का भरपूर सहयोग ‘अर्थकाम’ को मिलता रहेगा।