ट्रेडिंग है खेल मानसिकता व बर्ताव का

शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग दरअसल कंपनियों के फंडामेंटल नहीं, बल्कि इस बाज़ार में सक्रिय ट्रेडरों के संभावित बर्ताव, उनकी मानसिकता और आवेगों को समझने का खेल है। यह ज़रूर है कि शेयरों के भाव खबरों से भी प्रभावित होते हैं। लेकिन रिटेल ट्रेडरों को खबरों से खेलने का ज़ोन पूरी तरह बड़े उस्तादों के लिए छोड़ देना चाहिए। इसलिए जिन दिन भी कंपनी या अर्थव्यवस्था की बड़ी खबर आनी हो, उस दिन उन्हें ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए। वैसे अब तो बाज़ार पर अपनी अर्थव्यवस्था या मौद्रिक नीते के फैसलों का भी असर नहीं होता दिखता, होता भी है तो बहुत मामूली। सारा कुछ विदेशी बाज़ारों, खासकर अमेरिका के बाज़ारों के रुख और विदेशी धन के प्रवाह से तय होने लगा है। इसलिए ट्रेडर की पैनी नज़र विदेश पर भी रहनी चाहिए। अब सोमवार का व्योम…

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