आज तो बनता है सत्यम का दिन

सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज का नाम भारतीय कॉरपोरेट जगत के इतिहास में काले अक्षरों से लिखा जा चुका है। लेकिन यह नाम अब खुद धीरे-धीरे मिटता जा रहा है। अभी महिंद्रा सत्यम बना है। साल-छह महीने में पूरी की पूरी कंपनी टेक महिंद्रा में विलीन हो सकती है। लेकिन आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि महिंद्रा सत्यम राजू की प्रेतछाया से पूरी तरह मुक्त होने के बाद आज चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों (जून व सितंबर तिमाही) के नतीजे घोषित करेगी। लेकिन ये नतीजे शाम को बाजार बंद होने के बाद घोषित होंगे। इसलिए दिन भर महिंद्रा सत्यम के काउंटर पर काफी उथल-पुथल मचने की उम्मीद है।

इससे पहले नए प्रबंधन ने कंपनी के संस्थापक व प्रवर्तक बी रामालिंगा राजू द्वारा लगाई सारी कालिख को धो-पोछकर 28 सितंबर को पिछले दो वित्त वर्षों 2008-09 और 2009-10 के नतीजे घोषित किए थे। 2008-09 रामलिंगा राजू के घोटाले के खुलासे का साल था और सारी साफ सफाई के बाद उस साल कंपनी को 8812.6 करोड़ रुपए की आय पर 8174.6 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ है। हालांकि उसने सरकार को 159 करोड़ रुपए का टैक्स भी भरा है। अप्रैल 2009 से कंपनी का नियंत्रण महिंद्रा समूह के हाथ में है।

यहां से शुरू हुए वित्त वर्ष में कंपनी को 5481 करोड़ रुपए की आय पर 124.6 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा उठाना पड़ा। लेकिन अगर 22.2 करोड़ रुपए के टैक्स और घोटाले की मुकदमेबाजी वगैरह पर हुए 416.9 करोड़ के खर्च को छोड़ दें तो उसने 315.2 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था। जनवरी 2008 में 7800 करोड़ रुपए के एकाउंटिंग घोटाले से कंपनी का इतनी जल्दी उबर जाना अपने-आप में एक मिसाल है। इसने दिखाया है कि कैसे सरकारी कोशिशों से डूबती कंपनी निजी हाथों में देकर बचाई जा सकती है।

इस बीच कंपनी ने अपनी साख काफी हद तक वापस हासिल कर ली है। पिछले ही हफ्ते उसे बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) से बड़ा कांट्रैक्ट मिला है। वह इस समय मध्य-पूर्व और अफ्रीका में अपना काम बढ़ा रही है। दुबई के ऑफिस को उसने नया रणनीतिक क्षेत्रीय हब बना दिया है। कहने का मतलब यह है कि कंपनी पूरी तरह पटरी पर आ गई है और स्वतंत्र रूप में या टेक महिंद्रा में विलीन होकर जल्दी ही वह पहले की तरह इनफोसिस, विप्रो व टीसीएस जैसी दूसरी प्रमुख आईटी कंपनियों जैसी कुलांचे भरने लगेगी।

कंपनी 3000 नए कर्मचारियों की भर्ती कर रही है। मार्केटिंग व सेल्स पर वह काफी रकम खर्च कर रही है। उसने बैंगलोर और हैदराबाद के अपने केंद्रों में नए निर्माण शुरू कर दिए हैं। ये सब ऐसे सकारात्मक संकेत हैं जिनसे कंपनी की भावी दशा-दिशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। कंपनी की वित्तीय स्थिति के बारे में दो खास बातें नोट की जानी चाहिए। एक, उसके खातों में 2176.8 करोड़ रुपए का कैश बैलेस है और वह पूरी तरह कर्ज से मुक्त कंपनी है। और दो, उसके पास 1645.6 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं।

कंपनी के दो रुपए अंकित मूल्य के शेयर की बुक वैल्यू अभी 19.52 रुपए है और उसका शेयर शुक्रवार को बीएसई (कोड – 500376) में 85.45 रुपए और एनएसई (कोड – SATYAMCOMP) में 86.30 रुपए पर बद हुआ है। पिछले पूरे हफ्ते से इसमें जबरदस्त कारोबार हुआ है। खिलाड़ियों ने इसे सस्ते दामों पर खरीदकर भर लिया है। इसमें आज से उनका असली खेल शुरू हो सकता है। कंपनी की 235.3 करोड़ रुपए की इक्विटी में टेक महिंद्रा का हिस्सा 42.67 फीसदी है। उसके 9.87 फीसदी शेयर एफआईआई और 3.29 फीसदी शेयर घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) के पास हैं।

अंत में बस इतना। सत्यम कंप्यूटर शेयर बाजार में निवेश के जोखिम की महत्तम दास्तान है। इसको जान लें तो आम निवेशक को शेयर बाजार का सारा जोखिम समझ में आ सकता है। कैसे कोई शेयर 450 के गिरकर 6 रुपए तक जा सकता है और सरकार या कोर्ट भी निवेशकों के इस घाटे की भरपाई नहीं करता, कैसे प्रवर्तक कंपनी की तिजोरी में सेंध लगा सकते हैं, कैसे दिखावटी छवि बनाकर झांसा दिया जा सकता है – यह सारा कुछ सत्यम के मामले ने सामने ला दिया है। अच्छी बात यह है कि उसने देश में कॉरपोरेट लोकतंत्र या गवर्नेंस को सबकी नजर में आनेवाला एजेंडा बना दिया है। याद रखें, सत्यम का मामला भारत के कॉरपोरेट जगत की अग्रगति का ऐसा संधिस्थल है जहां से वह एक नए ऑरबिट में चला गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *