मिस दलाल! वो जमाना अब कहां?

आज निफ्टी के 5920 के पार जाते ही बाजार ने पहली जंग जीत ली। अब कम से कम इतना तय हो गया है कि बाजार इससे ज्यादा नीचे नहीं जाएगा। बुधवार,15 दिसंबर एक ऐसा दिन है जिस पर मैं दो वजहों से जमकर दांव लगा रहा हूं। एक, मॉयल की लिस्टिंग और दो, एडवांस टैक्स जमा करने का आखिरी दिन। एडवांस टैक्स के आंकड़ों से शेयरों के मूल्यों को आवेग मिलेगा क्योंकि तीसरी तिमाही में अभी तक सभी कंपनियों का कामकाज अच्छा चल रहा है। मॉयल की लिस्टिंग पर मिलनेवाले फायदे से कुछ एचएनआई अपने नुकसान की थोड़ी भरपाई जरूर कर सकते हैं।

मंदडिये अब उत्तर प्रदेश के चावल घोटाले का मामला उठा रहे हैं। पिछले आठ दिनों से इस बारे में ई-मेल भेजे जा रहे हैं। सवाल है कि जब केंद्र सरकार ही घोटालों से जाम हुई पड़ी हो, तब आप उत्तर प्रदेश के किसी पुराने घोटाले से क्या उम्मीद पाल सकते हैं? दूसरा मसला है पूर्व टेलिकॉम मंत्री ए राजा की गिरफ्तारी का। मंदड़ियों का कहना है कि ऐसा होने पर डीएमके केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। लेकिन ऐसा होना असंभव है क्योंकि खुद डीएमके इस समय मध्यावधि चुनावों के लिए तैयार नहीं है। राजनीति हालांकि गंदी चीज है। लेकिन वह बीजेपी को जेपीसी से दूर रखने में कामयाब रही है। अब बजट सत्र तक शांति बनी रहेगी। इस दौरान बाजार अपनी दशा-दिशा बना लेगा।

सेबी निश्चित रूप से प्रवर्तकों द्वारा बाजार से बाहर शेयरों की लेनदेन जैसे सभी गलत कामों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। वैसे भी सामान्य तौर पर ऐसा होता ही रहता है। इसमें कुछ भी खास बात नहीं है। इधर हर्षद मेहता के मामले को उजागर करनेवाली जानीमानी पत्रकार सुचेता दलाल ने आईबी रिपोर्ट से बड़ी स्टोरी निकाल ली है कि केतन पारेख यानी केपी 20 स्टॉक्स में सक्रिय है। उनको अहसास नहीं है कि जमाना व हालात अब किस कदर बदल चुके हैं और कल का 20 आज के 10 के बराबर भी नहीं है। जिन 20 स्टॉक्स का जिक्र उन्होंने किया है, उनका बाजार पूंजीकरण 12 से 15 लाख करोड़ रुपए है। देश में सक्रिय लगभग सभी एफआईआई इनके शेयरधारक हैं और रोज-ब-रोज की इनकी खरीद-बिक्री में शामिल रहते हैं। अगर कोई इन स्टॉक्स को खिसकाने के लिए खुद या अपने सहयोगियों के जरिए 5 फीसदी हिस्सेदारी भी खरीदना चाहे तो उसे 75,000 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी।

मिस दलाल ही बताएं कि कहां से कोई लाएगा इतनी रकम? क्या यह कभी भी साबित किया जा सकता है कि एक शख्स जिसे 2017 तक पूंजी बाजार से बाहर कर दिया गया है, वह अपने सहयोगियों या एफआईआई को 20 बड़े स्टॉक्स के भावों को उठाने-गिराने के लिए प्रभावित कर सकता है? बाजार की निष्ठा को साबित करने के लिए इस मुद्दे पर कुछ रोशनी डालने की जरूरत है, नहीं तो पूरे बाजार की साख ही दांव पर लग गई है।

एफआईआई ने इस साल अब तक स्टॉक्स और ऋण प्रपत्रों में 39 अरब डॉलर का निवेश किया है। वित्त मंत्री कहते हैं कि यह निवेश इस पूरे साल में 50 अरब डॉलर से ज्यादा हो जाएगा। वित्त मंत्री ही इस मुद्दे पर कोई बात कहने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं और मैं उन्हीं की बात पर जाता हूं। विदेशी निवेश का यह अतिरिक्त प्रवाह बाजार को स्वस्थ रखेगा। मेरा मानना है कि अगले बारह महीनों में सेंसेक्स 23,000 और 26,000 तक पहुंच सकता है। अगर आप अच्छे दमदार शेयरों की बात करें तो उनमें साल भर के भीतर सीधे 50 फीसदी की बढ़त देखी जा सकती है।

थोड़े समय की बात करें तो बाजार (निफ्टी) फिर से 6200 और 6300 तक जाएगा क्योंकि इस समय लांग से कहीं ज्यादा शॉर्ट सौदे हुए पड़े हैं और दृढता के अभाव के चलते हर बढ़त मंदडियों को शॉर्ट होने के लिए उकसाएगी। इससे होगा यह कि छोटी अवधि में उन्होंने जो कुछ कमाया है, उससे ज्यादा वे बाजार के उठने पर गंवा देंगे। यह तेजी के बाजार का खास लक्षण है। इसलिए हर डुबकी पर खरीदना ही सबसे सही रणनीति है। मुझे नहीं पता कि मेरी इन बातों से आपको कोई प्रेरणा मिलती भी है कि नहीं, या आप इन्हें एक कान से सुनकर दूसरे काम से निकाल देते हैं।

अगर आपका काम दूसरों को बड़े सपने देखने, ज्यादा जानने, ज्यादा करने और बढ़ने की प्रेरणा देता है तभी आप नेता हैं। अन्यथा, लफ्फाज तो एक ढूंढो, हज़ार मिलते हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *