शेयर बाज़ार में आशाओं और उम्मीदों का दौर खत्म। अब हर तरफ अनिश्चितता और चिंता छा गई है। यूक्रेन पर रूस के हमले का पांचवां दिन। फाइनेंस की दुनिया के केंद्र अमेरिका में मुद्रास्फीति चार दशकों के शिखर पर। जहां से भारत जैसे देशों में जमकर सस्ता धन आता है, वहां का केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति को कठोर बनाकर धन को महंगा करने जा रहा है। मार्च में ही ब्याज दरें बढ़ाने की योजना है। आर्थिक विकास के साथ बढ़नेवाली कंपनियों के शेयर लुढ़के जा रहे हैं। समूचे बाज़ार में करेक्शन जारी है। बाज़ार कहां तक गिरेगा, कहा नहीं जा सकता। निफ्टी 15-20% से ज्यादा गिर गया तो हर तरफ अफरातफरी मच जाएगी। ऊपर से दो साल से कोरोना महामारी कहर बरपाए हुए है। ऐसे में करने को तीन ही विकल्प बचते हैं। अब सोमवार का व्योम…
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