अमेरिका का शेयर बाज़ार घटे-बढ़े तो टोक्यो का शेयर बाज़ार घट-बढ़ जाता है। इनके असर से भारत से लेकर कोरिया तक के स्टॉक एक्सचेंज बच नहीं पाते। कभी-कभी लंदन और ऑस्ट्रेलिया की दिशा अलग होती है। लेकिन यूरोप के शेयर बाज़ार तो कुल मिलाकर अमेरिका को ही फॉलो करते हैं। ऐसे में तमाम देशों की अपनी अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति शेयर बाज़ार के संदर्भ में अक्सर बेमानी हो जाती है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति निर्णायक। आखिर क्या इससे डी-कपल या मुक्त हो सकने का कोई उपाय है? शायद नहीं। हां, यह बात ज़रूर है कि चीन ने अपने शेयर बाज़ार को काफी हद तक अमेरिकी प्रभाव से बचा रखा है। अमूमन वहां और हांगकांग के शेयर बाज़ार की चाल अमेरिका, यूरोप व जापान से भिन्न होती है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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