सरकार से लेकर कॉरपोरेट जगत के चौतरफा दबाव के बावजूद रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की पांचवी द्वि-मासिक समीक्षा में ब्याज दरों को जस का तस रहने दिया। नतीजतन, बैंक जिस ब्याज पर रिजर्व बैंक से उधार लेते हैं, वो रेपो दर 8 प्रतिशत और जिस ब्याज पर वे रिजर्व बैंक के पास अपना अतिरिक्त धन रखते हैं, वो रिवर्स रेपो दर 7 प्रतिशत पर जस की तस बनी रही। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुरान राजन नेऔरऔर भी

जब भी कभी रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति या उसकी समीक्षा पेश करनेवाला होता है तो उसके हफ्ते दस-दिन पहले से दो तरह की पुकार शुरू हो जाती है। बिजनेस अखबारों व चैनलों पर एक स्वर से कहा जाता है कि ब्याज दरों को घटाना जरूरी है ताकि आर्थिक विकास की दर को बढ़ाया जा सके। वहीं रिजर्व बैंक से लेकर राजनीतिक पार्टियों व आम लोगों की तरफ से कहा जाता है कि मुद्रास्फीति पर काबू पाना जरूरीऔरऔर भी

जिंदगी के हाईवे पर मुसीबतें इसलिए नहीं आतीं कि आप लस्त होकर चलना ही बंद कर लें, बल्कि मुसीबतों का हर दौर आपको वह मौका उपलब्ध कराता है जब आप ठहरकर अब तक के सफर की समीक्षा और आगे की यात्रा की तैयारी कर सकते हैं।और भीऔर भी

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री के वी थॉमस ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत आवंटित खाद्यान्न के उठाव और इनके सुरक्षित भंडारण की समीक्षा करने के लिए अपने मंत्रालय के अधिकारियों को अगले दो-तीन हफ्तों में राज्यों का दौरा करने का निर्देश दिया है। अपर सचिव और संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को राज्यवार जिम्मेदारी दी गई है और उनसे जिलेवार समीक्षा करने को कहा गया है। उन्हें यह भी निर्देश दिया है किऔरऔर भी

शेयर बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि बीते सप्ताह मामूली सुधार के बाद 25 जनवरी को बहुप्रतीक्षित भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक से इस सप्ताह बाजार की दिशा निर्धारित होगी। रेपो व रिवर्स रेपो दर 0.25 फीसदी बढ़ सकती है, जबकि सीआरआर को 6 फीसदी पर यथावत रखे जाने की उम्मीद है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में 21 जनवरी को समाप्त सप्ताह में उतार-चढ़ाव का रूख दिखाई पड़ा और सप्ताहांत में यह 0.77औरऔर भी

अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों का अनुमान है कि रिजर्व बैंक 25 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ा देगा। रेपो दर को 6.25 फीसदी के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 6.5 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 5.25 फीसदी के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 5.5 फीसदी कर दिया जाएगा। इस कदम का मकसद मुद्रास्फीति की बढ़ती दरों पर लगाम लगाना होगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक मत-संग्रह के मुताबिक आर्थिक विश्लेषक मानतेऔरऔर भी