कोई भी उपभोक्ता अब किसी सामान या सेवा में खामी पर अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करा सकता है। सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण कानून में ऐसे कई संशोधनों वाला विधेयक पिछले महाने लोकसभा में पेश किया है। इसमें जिला उपभोक्ता अदालतों की ताकत बढ़ाना भी शामिल है। इन संशोधन का मकसद उपभोक्ता विवादों को जल्द से जल्द निपटाने की स्थितियां पैदा करनी है। नए विधेयक के अनुसार कोई भी ग्राहक अपनी शिकायत से लेकर निर्धारित फीस तक ऑनलाइनऔरऔर भी

सरकार ने पेट्रोल से लेकर डीजल, रसोई गैस और केरोसिन के दामों पर छाई धुंध को साफ करने के लिए ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध करानी शुरू कर दी है। सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां – इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम ने पेट्रोल कीमतों के बारे में विस्तृत जानकारी पेट्रोलियम मंत्रालय संबद्ध पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल की वेबसाइट पर डालनी शुरू कर दी है। यहां कच्चे के आयातित मूल्य से लेकर अंडर-रिकवरी व सरकार की तरफ सेऔरऔर भी

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने तय किया है कि अगर कंपनी के किसी अनुबंध को उसके शेयरधारक आमसभा में विशेष प्रस्ताव लाकर पारित कर देते हैं तो मंत्रालय उसे अपना अनुमोदन ऑनलाइन दे देगा। ऐसा समय की अनावश्यक बरबादी को रोकने के लिए किया गया है। इसके लिए कंपनी एक्ट, 1956 की धारा 297 के तहत प्रावधान किया गया है जिसे 24 सितंबर, 2011 से लागू कर दिया जाएगा। नई प्रक्रिया के तहत तय शुल्‍क देकर अब अनुमोदनऔरऔर भी

कहते हैं कि ग्राहक भगवान होता है पर अभी कुछ समय पहले तक भारत की बीमा कंपनियों का सोचना इससे उलट था। उनके लिए पॉलिसीधारक ऐसा निरीह प्राणी होता था जो शायद परेशानी सहने के लिए अभिशप्त है। लेकिन बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (आईआरडीए या इरडा) की पहल से अब माहौल बदल चुका है। कैसी समस्याएं: अमूमन जीवन बीमा पॉलिसीधारकों को जो समस्याएं सताती हैं उनमें खास हैं – पॉलिसी बांड नहीं मिला, गलत पॉलिसी बांडऔरऔर भी

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) राजधानी दिल्ली में होनेवाले संपत्ति के लेन-देन संबंधी सभी मामलों को सार्वजनिक करने पर विचार कर रहा है। इस बारे में उसने दिल्ली सरकार से उसकी राय पूछी है। मामला आरटीआई एक्ट (सूचना अधिकार कानून) के तहत दाखिल एस पी मनचंदा के आवेदन से जुड़ा है। उन्होंने दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग से 2000 में उसकी संपत्ति के व्यापार से जुड़ी पंजीकरण जानकारी मांगी थी। लेकिन उन्हें बताया गया कि विभाग संपत्ति केऔरऔर भी

अभी तक केवल कंपनियों और पार्टनरशिप फर्मों के लिए ही आयकर रिटर्न इलेट्रॉनिक रूप से भरना जरूरी है। लेकिन अब इसमें उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) को भी शामिल कर दिया गया है जिसके खातों का अंकेक्षण आयकर एक्ट 1961 की धारा 44 एबी के तहत होता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इसकी अधिसूचना 9 जुलाई 2010 को जारी कर दी है और गजट में प्रकाशित होते ही यह नियम लागू हो जाएगा।औरऔर भी