शरद पवार जैसे बहुरंगी कलाकार की जगह मई 2014 में जब राधा मोहन सिंह को केंद्रीय कृषि मंत्री बनाया गया तो आम धारणा यही बनी कि ज़मीन से जुड़े नेता होने के नाते वे देश की कृषि अर्थव्यवस्था ही नहीं, किसानों के व्यापक कल्याण का भी काम करेंगे। संयोग से उससे करीब सवा साल बाद मंत्रालय का नाम भी बदल कर कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय कर दिया गया। लेकिन उसके बमुश्किल महीने भर बाद राधा मोहनऔरऔर भी

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 29 फरवरी 2012 तक राज्यों को 6992.44 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है, जबकि 31 मार्च 2012 को खत्म हो रहे मौजूदा वित्त वर्ष में इस योजना के लिए कुल बजट प्रावधान 7729.24 करोड़ रुपए का था। इस तरह 11 महीनों में लक्ष्य का 90.5 फीसदी ही हासिल किया जा सका है। 2007-08 से लेकर अब तक किसी भी साल बजट में तय रकम पूरी तरह नहीं जारी कीऔरऔर भी

भारत ने साल 2003 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तंबाकू नियंत्रण फ्रेमवर्क कनवेंशन पर दस्तखत किए थे। इसकी धारा 17 व 18 के तहत केंद्र सरकार का दायित्व है कि वह देश के किसानों को तंबाकू की खेती से निकालकर दूसरी फसलों की लाभप्रद वैकल्पिक खेती में लगाए। लेकिन करीब नौ साल बाद भी मामला स्वास्थ्य, कृषि और वाणिज्य मंत्रालय के बीच चिट्ठी-पत्री से आगे नहीं बढ़ पाया है। इसका प्रमुख कारण यह है कि भारतऔरऔर भी

यूपीए सरकार भले ही ढिंढोरा पीटती रहे कि उसने कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रखी है, लेकिन बजट 2012-13 के दस्तावेजों से साफ है कि वह केंद्रीय आयोजना व्यय का महज 2.71 फीसदी हिस्सा कृषि व संबंधित गतिविधियों पर खर्च करती है। नए वित्त वर्ष 2012-13 में कुल केंद्रीय आयोजना व्यय 6,51,509 करोड़ रुपए का है। इसमें से 17,692.37 करोड़ रुपए ही कृषि व संबंद्ध क्रियाकलापों के लिए रखे गए हैं। इन क्रियाकलापों में फसलों से लेकरऔरऔर भी

देश में पिछले दस सालों में 22,135 करोड़ रुपए के फसल बीमा दावों का निपटान किया गया है। इससे 4.86 करोड़ किसानों को लाभ मिला है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने 19 जनवरी 2012 तक उपबल्ध जानकारी के आधार पर बताया है कि फसल बीमा दावों में 4099 करोड़ रुपए के साथ आंध्र प्रदेश पहले नंबर पर रहा। इसके बाद गुजरात (3917 करोड़ रुपए), राजस्थान (2621 करोड़ रुपए), महाराष्ट्र (1873 करोड़ रुपए), बिहार (1794 करोड़ रुपए) और कर्नाटकऔरऔर भी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीनी क्षेत्र को नियंत्रण-मुक्त करने के मुद्दे पर एक विशेषज्ञ समिति बना दी है। इसकी अध्यक्षता उनकी आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन डॉ. सी रंगराजन को सौंपी गई है। समिति में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु, कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) के चेयरमैन अशोक गुलाटी और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सचिव के पी कृष्णन को मिलाकर कुछ छह सदस्य होंगे। सरकार ने खाद्य व उपभोक्ता मामलात मंत्रालयऔरऔर भी

कृषि मंत्रालय की तरफ से दी गई ताजा जानकारी के मुताबिक अभी तक रबी सीजन में कुल 290.67 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई कर दी गई है। पिछले साल इसी तिथि तक कुल 288.38 लाख क्षेत्र में गेहूं की बुआई की गई थी। पिछले साल की तुलना में इस साल यह कुल 2.29 लाख हेक्‍टेयर अधिक है। मध्‍यप्रदेश के 4.79 लाख हेक्‍टेयर, राजस्‍थान के 3.11 लाख हेक्‍टेयर, झारखंड के 0.58 लाख हेक्‍टेयर और छत्‍तीसगढ़ केऔरऔर भी

पिछले 11 सालों में देश के 17.61 किसानों को राष्‍ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) के तहत फसल का बीमा कवर दिया गया है। कृषि मंत्रालय के ताजा आकड़ों के अनुसार एनएआईएस के तहत रबी मौसम 1999-2000 से रबी मौसम 2010-11 तक कुल 17.61 करोड़ किसानो का बीमा किया गया है। इस योजना के तहत पिछली 23 फ़सलों के दौरान 21,459 करोड़ रूपए मूल्‍य के दावे निपटाए गए हैं, जिससे 4.76 लाख किसानों को लाभ पहुंचा है। योजनाऔरऔर भी

सरकार यूरिया से मूल्य-नियंत्रण हटाने की तरफ तेज कदमों से बढ़ रही है। बुधवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और उवर्रक राज्य मंत्री श्रीकांत जेना उर्वरक उद्योग के प्रतिनिधियों से मिले। समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार इस मुलाकात के बाद उन्होंने एक पैनल बनाने का निर्णय लिया है जिसमें उर्वरक मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के शीर्ष अधिकारी शामिल रहेंगे। यह पैनल यूरिया के मूल्य से सरकारी नियंत्रण हटाने की संभाव्यता पर विचारऔरऔर भी