जब गांठें पड़ती हैं तो उसे हम खोलकर सुलझाते हैं, काटकर नहीं। काट देने से गांठ नहीं जाती, बल्कि रिश्तों की डोर छोटी होती चली जाती है। रिश्तों की डोर को बढ़ाना है तो हर गांठ खोलकर सुलझानी पड़ेगी।और भीऔर भी

कायर से गठजोड़ कभी न करो क्योंकि वह सिर्फ अपनी चमड़ी देखता है। किसी की परवाह नहीं करता। उसके हाथ में सत्ता हो तो उसे तानाशाह बनते देर नहीं लगती। कमाल तो यह है कि लोग उसे बहादुर समझते हैं।और भीऔर भी