पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने हाल ही में आईपीओ लानेवाली कंपनी वासवानी इंडस्ट्रीज की लिस्टिंग पर रोक लगा दी है। वासवानी इंडस्ट्रीज का आईपीओ 29 अप्रैल को खुलकर 3 मई को बद हुआ था। इसके तहत कंपनी ने अपने एक करोड़ शेयर 45 से 49 रुपए के मूल्य-दायरे में जारी किए थे। सेबी ने गुरुवार को देर रात जारी की गई सूचना में कहा है कि इश्यू के बंद होने के बाद आईपीओ के सब्सक्रिप्शन मेंऔरऔर भी

देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई का मुख्य धंधा शेयरों, डिबेंचरों व अन्य प्रतिभूतियों की ट्रेडिंग कराना है। लेकिन उसकी आमदनी का बड़ा हिस्सा निवेश व डिपॉजिट से आता है। बुधवार को घोषित नतीजों के अनुसार 31 मार्च 2011 को समाप्त वित्त वर्ष में बीएसई की कुल आमदनी 538.03 करोड़ रही है। इसमें से 227.39 करोड़ रुपए यानी 42.26 फीसदी हिस्सा निवेश व डिपॉजिट से आया है। प्रतिभूति सेवाओं से हुई उसकी आय 179.73 करोड़ रुपएऔरऔर भी

बाजार का जो भी खेल है, यहां अपग्रेड और डाउनग्रेड गलत वक्त पर होते हैं। हमने एसकेएस माइक्रो फाइनेंस को 800 रुपए पर डाउगग्रेड किया था और अब देखिए उसका हश्र क्या है। हमने एसबीआई को 3500 रुपए पर डाउनग्रेड किया था, बाजार अब कर रहा है। हमने मुथूत फाइनेंस के बारे में नकारात्मक राय रखी और लिस्टिंग पर उसका हाल-बेहाल सामने आ गया. है। हमें यकीन है कि यह स्टॉक घटकर 123 रुपए तक आ जाएगाऔरऔर भी

मुथूत फाइनेंस ने अपने 1.95 लाख से ज्यादा शेयधारकों को लिस्टिंग के पहले ही दिन रुला डाला। 175 रुपए पर जारी हुआ उसका शेयर सुबह 180 रुपए पर लिस्ट होने के थोड़ी देर बाद करीब 13 फीसदी बढ़कर 198 रुपए पर पहुंच गया। लेकिन बाद में फटाफट गिरकर 161.50 रुपए तक चला गया। दिन भर गहमागहमी रही। बीएसई में इसके 2,26,76,312 शेयरों और एनएसई में 6,06,13,615 शेयरों में कारोबार हुआ। बीएसई में पता नहीं कि इसमें सेऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने अपनी निवेशक हेल्पलाइन सेवा का ठेका किसी बाहरी कंपनी को देने का फैसला किया है। इस कॉल सेंटर में 500 एजेंटों की जरूरत होगी जो आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) और ट्रेडिंग जैसे तमाम मामलों के बारे में निवेशकों के फोन का जवाब देंगे। इससे कुछ ही हफ्ते पहले भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों की शिकायतों के निपटाने का जिम्मा किसी अन्य कंपनी को देने का निर्णय किया था।औरऔर भी

अर्थव्यवस्था का दूरगामी नजरिया अच्छा हो और कंपनी अच्छी हो तो बाजार का पिटना बड़ा अच्छा होता है क्योंकि इस चक्कर में अच्छी कंपनियों के शेयर सस्ते में मिल जाते हैं। किसी सेक्टर का डाउनग्रेड किया जाना भी कभी-कभी अच्छा होता है क्योंकि सेक्टर के बीच भी अच्छी कंपनियां होती हैं। यहां संदर्भ है बैंकिंग सेक्टर का है और कंपनी है इंडियन बैंक। इंडियन बैंक का शेयर पिछले गुरुवार से इस गुरुवार के बीच 12.45 फीसदी काऔरऔर भी

अपैल खत्म, मई आ गया। अप्रैल में तो शेयर बाजार कंपनियों के नतीजों के हिसाब से डोलता रहा। जिन कंपनियों ने उम्मीद से बेहतर नतीजे घोषित किए, उनके शेयर ठीकठाक चले, जबकि जो कंपनियां बाजार की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं, उनके शेयरों को तोड़ दिया गया। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, इनफोसिस व सेल जैसी कंपनियां शामिल हैं। ऐसा होना एकदम स्वाभाविक था। इसलिए इसमें किसी अचंभे की बात नहीं है। वैसे, अभी अगले दो हफ्ते तक मिडऔरऔर भी

एक अच्छी खबर है जो पूंजी बाजार में खुशी ला सकती है। नॉर्थ ब्लॉक के मेरे सूत्रों ने बताया है कि आखिरकार वित्त मंत्रालय ने आईपीओ की लिस्टिंग के पहले दिन होनेवाले खेल पर चिंता जताई है। अमूमन लिस्टिंग के बाद शेयर धड़ाम से गिरते हैं जिससे लाखों-करोड़ों निवेशकों की पूंजी स्वाहा हो जाती है। यहां तक कि सरकार को भी अपनी कंपनियों के आईपीओ रिटेल व असली निवेशकों को बेचने में समस्या होती है। दुखद बातऔरऔर भी

कंपनियों के नतीजों का मौसम खत्म होने को है। अब तक तस्वीर यह बनी है कि जहां इनफोसिस और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी तमाम बड़े स्तर की कंपनियां बाजार की अपेक्षाओं को पूरा करने में नाकाम रही हैं, वहीं पोलारिस, एचसीएल टेक्नो व हिंदुस्तान जिंक जैसे मध्यम स्तर की कंपनियों ने उम्मीद के बेहतर नतीजे हासिल किए हैं। कुल मिलाकर कॉरपोरेट क्षेत्र का लाभार्जन बीते वित्त वर्ष 2010-11 में पहले से 20 फीसदी ज्यादा रहेगा। लेकिन चालू वित्तऔरऔर भी

कुछ लोगों को यकीनन बुरा लग सकता है कि जिस कंपनी की शुद्ध बिक्री दिसंबर 2010 की तिमाही में 287.49 करोड़ रुपए रही हो, जिसने पिछले वित्त वर्ष 2009-10 में 812.26 करोड़ की शुद्ध बिक्री हासिल की हो, उसके शेयर को चिरकुट क्यों कहा जा रहा है। लेकिन आम निवेशक के नजरिए से मुझे रोहित फेरो-टेक लिमिटेड एक चिरकुट कंपनी लगती है और उसका शेयर भी एकदम चिरकुट। वह भी तब, जब इसका ठीक पिछले बारह महीनोंऔरऔर भी