इक्विटी शेयर एकमात्र आस्ति है जिसका मूल्य मूलतः कंपनी द्वारा निरंतर बनाए जाते मूल्य को दर्शाते हुए बढ़ता जाता है। बाकी दूसरी आस्तियां या माध्यम या तो शेयर बाजार से ही कमाई करते हैं या ताश के पत्तों की तरह नोट को इस हाथ से उस हाथ तक पहुंचाते रहते हैं। इक्विटी पूंजी कमाती है तो शेयर का भाव बढ़ता है। इसी अनुपात को दर्शाता है मूल्य/अर्जन या पी/ई अनुपात। लेकिन जहां अर्जन शून्य है, वहां मूल्यऔरऔर भी

कंस्ट्रक्शन कंपनियों के शेयरों ने भले ही पिछले एक साल में निवेशकों को 55 फीसदी का नुकसान कराया हो, लेकिन अब वे ऐसे मुकाम पर आ गए हैं जहां इनमें किए गए निवेश पर 25 फीसदी या इससे ज्यादा भी रिटर्न मिल सकता है। यह कहा है प्रमुख रेटिंग एजेंसी से संबद्ध क्रिसिल रिसर्च ने अपनी ताजा रिपोर्ट में। सोमवार को जारी इस रिपोर्ट में क्रिसिल रिसर्च ने खास तौर पर पांच कंस्ट्रक्शन कंपनियों का जिक्र कियाऔरऔर भी

भगवान ने इंसान को बनाया या इंसान ने भगवान को – यह बात मैं दावे के साथ नहीं कह सकता। लेकिन इतना दावे के साथ जरूर कह सकता हूं कि दस के चक्र/क्रम में चलनेवाली गिनतियों को इंसान ने ही बनाया है। इंसान की दस उंगलियां है तो यह चक्र दस का है। उन्नीस होतीं तो यह चक्र उन्नीस का होता। ज्योतिष और अंकों में दिलचस्पी रखनेवाले इस पर सोचें। हम तो फिलहाल यह देखते हैं किऔरऔर भी

ज्ञान की बातें बाद में। पहले कुछ काम की बात। तिलकनगर इंडस्ट्रीज के बारे में जानना चाहते हैं लोग। दक्षिण भारत की इस शराब कंपनी का शेयर 20 जून को घटकर 30.50 रुपए पर आ गया। अभी शुक्रवार, 1 जुलाई को बीएसई (कोड – 507205) में 43.20 रुपए और एनएसई (कोड – TI) में 43.30 रुपए पर बंद हुआ था। बीते साल 10 नवंबर 2010 को यह शेयर 147.80 रुपए के शिखर पर था। हमने भी 24औरऔर भी

बाजार में क्या मंदड़िए, क्या तेजड़िए, सभी दुविधा में हैं। किसी को अंदाज नहीं है कि बाजार आगे कौन-सी दिशा पकड़ने जा रहा है। बीएसई में कैश बाजार में रोज का औसत वोल्यूम 2600 करोड़ रुपए और एनएसई में 8800 करोड़ रुपए पर आ चुका है। डेरिवेटिव सौदों में बीएसई में तो कुछ होता है नहीं, एनएसई तक में कारोबार घटकर 70,000 करोड़ रुपए के नीचे जाने लगा है। दिन के दिन यानी इंट्रा-डे कारोबार में होनेवालेऔरऔर भी

निराशावादी चिंतन का कोई अंत नहीं है। निवेश फंडों या ब्रोकरेज हाउसों के सरगना अपने निहित स्वार्थों के चलते बाजार को लेकर जैसी निराशा फैला रहे हैं, उसका भी कोई अंत नहीं है। लेकिन मैं इनकी रत्ती भर भी परवाह नहीं करता क्योंकि मैं कोई ब्रोकिंग के धंधे में तो हूं नहीं। फंड अपने फैसलों को जायज ठहराने की कोशिश करते हैं। कहते हैं कि वे जन-धन का प्रबंधन कर रहे हैं। सच यह है कि फंडऔरऔर भी

घोटाले में कुछ और कंपनियों का नाम आने और कुछ और कंपनियों के निचले सर्किट ब्रेकर तक चले जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। आज मिडफील्ड इंडस्ट्रीज और कुछ अन्य रिसोर्स कंपनियों के स्टॉक निचले स्रर्किट तक चले गए हैं। मिडफील्ड में 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और यह 317.95 रुपए तक पहुंच गया है। वैसे यह चल भी 60 पी/ई के ऊपर रहा था। इस माहौल में आपके लिएऔरऔर भी