जब बाजार में भूचाल मचा हो, बीएसई सेंसेक्स 615 का गोता लगाने के बाद संभला हो, तब मैं आपको अब कतई बाजार की तेजी के बारे में यकीन दिलाने की कोशिश नहीं करूंगा। लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि औरों के बनाए खेल के शिकार न बनें। डेरिवेटिव्स में अपने पोजिशन को होल्ड रखें, साथ ही साथ कैश सेगमेंट में खरीद जारी रखें। बाजार से एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) तबका एकदम साफ हो गया है। अब तो 5000औरऔर भी

तमाम अखबार, पत्र-पत्रिकाएं और बिजनेस चैनल भारतीय शेयर बाजार को लगी 1200 अंकों से ज्यादा की चपत की वजह वैश्विक कारकों में तलाश रहे हैं। लेकिन हमारा मानना है कि असली बात यह नहीं है। लेहमान ब्रदर्स के डूबने का मसला हो या उसके बाद के तमाम वैश्विक कारक हों, उन्होंने यकीकन कमजोर बाजारों को चोट पहुंचाई, लेकिन इनके बीच भारतीय बाजार ने पुरानी ऊंचाई फिर से हासिल कर ली और यही नहीं, दूसरी अर्थव्यवस्थाओं ने हमाराऔरऔर भी

कल और आज कुल मिलाकर महज 10,000 करोड़ रुपए के ही सौदों का रोलओवर हुआ है। ऑपरेटर अपनी पोजिशन आगे ले जाने के मूड में नहीं है। कल निफ्टी में 6100 के ऊपर बहुत से खिलाड़ी टेक्निकल चार्टों से निकले यकीन के आधार पर लांग हो गए, यानी उन्होंने खरीद के सौदे कर लिए। लेकिन इस बार तकनीकी गलती की वजह से बाजार ने उन्हें अपनी राय बदलने को बाध्य कर दिया। इतना तय है कि 6050औरऔर भी

अभी तक लिस्टेड कंपनियां अपनी शेयरधारिता का ब्यौरा हर तिमाही के बीतने पर साल में चार बार सार्वजनिक करती रही हैं, भले ही तिमाही के दौरान कितना भी उलटफेर हो जाए। लेकिन अब शेयरधारिता में जब भी कभी दो फीसदी से ज्यादा की घट-बढ़ होगी, उन्हें उसके दस दिन के भीतर स्टॉक एक्सचेजों को सूचित करना होगा और एक्सचेंज इस सूचना को तत्काल अपनी वेबसाइट पर कंपनी की उद्घोषणा के रूप में पेश कर देंगे। यह फैसलाऔरऔर भी

जिस तरह आईसीआईसीआई बैंक ने राजस्थान बैंक को खरीद लिया है, उसी तरह कर्नाटक बैंक भी किसी दिन बिक सकता है। बस दिक्कत यह है कि इसके सौदे को अंजाम देने के लिए किसी भी मर्चेंट बैंकर को बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी क्योंकि इसका कोई प्रवर्तक ही नहीं है। इसकी सारी की सारी 133.99 करोड़ रुपए की इक्विटी 82,043 शेयरधारकों में विभाजित है। बड़े शेयरधारकों में 16 देशी-विदेशी संस्थाएं ऐसी हैं जिनके पास कर्नाटक बैंक की 31.37औरऔर भी

आदित्य बिड़ला केमिकल्स लगातार पांच सालों से डिविडेंट (लाभांश) देनेवाली कंपनी है। पिछले तीन सालों में 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर उसने 1.5 रुपए यानी 15 फीसदी का लाभांश दिया है। कंपनी का शेयर इसी साल 8 जनवरी 2010 को 102.55 रुपए के शिखर पर पहुचा था, जबकि साल भर पहले 8 अप्रैल 2009 को वह 39.15 रुपए के न्यूनतम भाव पर था। इस 8 अप्रैल को बीएसई में उसका शेयर 1.81 फीसदी घटकर 86.60 रुपएऔरऔर भी